Sunday, 3 August 2025

मालवीय भवन नई दिल्ली में चंद्रशेखर आजाद की जयंती मनाई गई


नई दिल्ली, 28 जुलाई। मालवीय भवन नई दिल्ली में महान स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आजाद जी की जयंती का आयोजन किया गया। सर्व प्रथम रौशन कुमार जी ने "संगठन हम करे आफतो से हैम लड़े हम बदल देंगे सारा जमाना" गीत से शुरू किया। रौशन जी ने इस मौके पर कहा कि आज महान नायकों को भुला दिया जा रहा है। उनकी क्रांतिधर्मिता व बुद्धिमता पर प्रकाश डाला। कहा कि साधारण परिवार में उनका जन्म हुआ और उन्होंने राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण किया। 1921 में गांधीजी के असहयोग आंदोलन में 15 कोड़े की सजा मिली थी। काकोरी कांड की भी चर्चा करते हुए उनके व्यक्तित्व की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि आजाद ने अपने साहसी व्यक्तित्व से आज़ादी के देशव्यापी अभियान को क्रान्ति की अदभुत गरिमा प्रदान की। उनके व्यक्त्तिव से प्रभावित होकर असंख्य युवाओं ने क्रांति के मार्ग पर कदम बढ़ाए। कहा कि सत्य तो यह है कि आजाद जी को प्रत्येक क्रांतिकारी में अपना ही रूप दिखाई देता था।

देश के जानेमाने स्तम्भकार व वरिष्ठ पत्रकार अवधेश कुमार जी ने कहा की आने वाले 2030 में चन्द्रशेखर आजाद की जन्मशती के 100 साल होंगे। आजद जी जैसे महान क्रांतिकारी से  हमे प्रेरणा लेनी चाहिए। उनके जीवन व  चरित्र से हमे कुछ सीखना चाहिए। चंद्रशेखर आजाद का व्यक्तित्व बहुत बड़ा है उसी रूप में आज याद किया जाना चाहिए। आजाद जी के जन्म को देखे तो उस समय कम्युनिकेशन नहीं था लेकिन कम उम्र में एक क्रांतिकारी के रूप में स्थापित हो गए थे। हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी में वह थे उसमें दूसरे विचार के लोग भी थे। उनका लक्ष्य क्या था? इसपर विचार करना चाहिए। आज यूनाइटेड नेशन एक NGO बन कर रह गया है। कन्वर्जन एक बड़ी समस्या बन गयी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस हेतु एक अभियान चल रहा है। आज देश में ऐसी शक्तियां प्रभावि हो गयी है जो यहाँ की सांस्कृतिक एकता को खंडित कर रही है। आज न्यू लेफ्टिज्म का उदय हुआ है जो देश के लिए सबसे बड़ा खतरा हो गया है। आज हिन्दू समाज के अंदर परिवार इतना छोटा हो गया है कि समाज के लिए खड़े होने वाले लोग नहीं हैं। हिन्दू जनसँख्या को लेकर चिंता जाहिर किया। बताया कि आजाद जी काम कैसे करते थे सभी विचार के लोगों को लगातार लोगों को जोड़ रहे थे। आज के संदर्भ में न मरने की आवश्यकता है न मारने की आवश्यकता है। आज हिन्दू समाज को धर्म और अध्यात्म से जोड़ना चाहिए। भारत में सबसे अधिक धर्म परिवर्तन बड़ी जातियों के लोगों ने किया और आज भी कर रहे हैं। सबसे पहले आप जहां है वहां से लोगों को जागृत करें।  आजद जी की सच्ची श्रद्धांजलि तब होगी कि उनको याद करते हुए अपने समाज को जागृत करें। मिराण्डा हाउस कॉलेज के संस्कृत के प्रोफेसर ने उनकी निष्ठा व ईमानदारी पर बात किया। दिल्ली विश्वविद्यालय की शोध छात्रा लाम्बा ने कहा कि सभी के साथ समानता का व्यवहार हो इस विषय पर वो चिंतन करते थे। इस मौके पर कई लोगो ने अपने विचार रखें।

No comments:

Post a Comment