Friday 12 December 2014

सुब्रहमण्यम भारती के लेखन में स्त्री

जामिया मिल्लिया इस्लामिया  
सुब्रहमण्यम भारती का जन्म 11 दिसंबर 1882 को हुआ. यह मूल रूप से साहित्यकार थे. जिन्होंने कम उम्र में ही लेखन क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया. इनके जन्मदिवस के अवसर पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी विभाग और राजनीति विज्ञान विभाग के सौजन्य से यासिर अराफात हाॅल में ‘‘वूमन ईशू इन द राईटिंग आॅफ सुब्रहमण्यम भारती’’ विषय पर जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर मैनेजर पांडे ने वाख्यान में यह बात कही. उन्होंने सुब्रहमण्यम भारती के साहित्यिक व सामाजिक जीवन पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि वह मूल रूप से तमिल भाषी थे. उनका लेखन ज्यादातर तमिल में रहा. यह हमारे देश का दुर्भाग्य ही है, इसकी समृद्धि ही इसकी विपत्ति है. कई भाषाएं हैं जिनमें अन्य भाषाअाें में भी अच्छा काम हुआ है, मगर हिन्दी भाषी क्षेत्र के लोग अन्य भाषाओं के रचनाकारों से अनभिज्ञ हैं.
सुब्रहमण्यम भारती के लेखन में जहां एक ओर स्वाधीनता आंदोलन की झलक मिलती है, वहीं उन्होंने स्त्री मुक्ती की भी झलक भी दिखाई देती है. सुब्रहमण्यम भारती एक ऐसे साहित्यकार थे जिन्होंने रूस के पुस्किन, उर्दू के मजाज और भारतेन्दु हरीशचंद्र की तरह कम समय में ही साहित्य में बेहतर लेखन किया. आंरभिक शिक्षा इन्होंने बनारस से प्राप्त की तत्पश्चात ईलाहाबाद में अध्ययन कार्य किया. उन दिनों कलकत्ता राजनीतिक हलचल और इंटेलेजेन्सिया का केन्द्र माना जाता था यह वहां भी गए. 1904 में इन्होंने स्वदेशमित्रम नामक समाचार पत्र से पत्रकारिता में पदार्पण किया और तमिल तथा अंग्रेजी के पत्रकार रहे. इनके जीवन और लेखन का मुख्य लक्ष्य स्वाधीनता ही थी. 1907 में इन्होंने सूरत कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया. इन्होंने पहली कविता वन्देमातरम् पर लिखी थी. इनकी कविताओं में हिमालय, गंगा-यमुना व उपनिषदों का जिक्र मिलता है. भारती फ्रांसिसी क्रांति के तीन मूल्यों से काफी प्रभावित थे. उनके साहित्य में तीन लक्ष्य स्वतंत्रता, समानता और भाईचारे की झलक देखने को मिलती है.
इन्होंने स्वाधीनता पर अनेक कविताएं लिखी. इनके लिए स्वाधीनता का मतलब पूर्ण स्वतंत्रता से था. इसलिए इन्होंने स्वतंत्रता के साथ-साथ जातिगत बंधनों से मुक्ति और स्त्री स्वतंत्रता का भी समर्थन किया. अपनी रचना ‘द क्राईम आॅफ कास्ट’ में इन्होंने जाति व्यवस्था की कड़ी आलोचना की है. वह स्त्री पुरूष की समानता के भी पक्षधर थे. उन्होंने ‘पांचाली शमथम’ नाम की कविता और ‘वूमेन्स फ्रीडम’ एक निबंध भी लिखा. अंग्रेजी के कवि शैली से काफी प्रभावित थे. इनको स्वाभाविक रूप से रोमांटिक कवि माना जाता है. वह इस बात से पूरी तरह सहमत थे कि स्त्री-पुरूष को पक्षियों की तरह स्वतंत्र होना चाहिए. वह निर्द्व्न्द् और स्वच्छंद प्रेम के हिमायती थे. वास्तव में सुब्रहमण्यम भारती एक अच्छे साहित्यकार और समाजिक कार्यकर्ता भी थे. इस अवसर पर जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी विभाग के विभाग ध्यक्ष प्रो. दुर्गा प्रसाद गुप्त के साथ हिंदी विभाग के अन्य अध्यापक भी उपस्थित थे.

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