हर्ष
भारत के जिन इलाको में आदिवासी रहते है वहा तक मीडिया पहुँच नहीं पाता है. जहाँ मीडिया की पहुंच नहीं है वहां सी जी नेट स्वर पहुँचता है. यह भारत में नागरिक पत्रकारिता का सबसे नया औज़ार है पर इसके तौर तरीके बेहद पुराने हैं. यह माध्यम समाज के हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का मौका देता है. सी जी नेट स्वर मेगा फ़ोन टेक्नोलोजी, इन्टरनेट ,मिडिया और मोबाइल फ़ोन, इन चारो को मिला कर सी जी नेट स्वर कम्युनिटी रेडियो तैयार हुआ है. कही से भी आप मिस्ड कॉल देकर अपना सन्देश रिकॉर्ड करा सकते है और उसे सुन भी सकते है इसका मुख्य उदेश्य सिर्फ समस्या का समाधान नहीं है बल्कि सभी को बोलने का मंच प्रदान करता है जैसे- एक चौपाल में सब अपनी समस्या बताते है उसी तरह मोबाइल में 1 और 2 दबाकर अपनी समस्या बता सकते हैं. सी जी नेट स्वर लोगो को ऐसा मंच प्रदान करता है जिसमे सभी लोगो को बोलने का बराबर अधिकार है. सी जी नेट स्वर में जो आप बोलेंगे वही प्रजेंट होगा. आदिवासी स्वर गोंडी भाषा के लिए है पर यह हिंदी में ज्यादा सफल हो रहा है सी जी नेट स्वर का मुख्य उद्देश्य गोंडी भाषा में आदिवासी लोगो को मीडया प्लेटफार्म देना है. सी जी नेट स्वर को मीडियम बना कर आदिवासी स्वर खड़ा हो सकता है.
गोंडी भारत के 6 राज्यों में बोली जाती है आंध्रा, तेलंगाना, उड़ीसा, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़. इस क्षेत्र को सेन्ट्रल गोंडवाना नेटवर्क कहा जाता है जहां सी जी नेट स्वर प्रयोग में है और सफल भी हो रहा है. आदिवासी लोगो के लिए ज्यादा कोशिश यही रहती है कि उनका विकास हो सके. वर्कशॉप के माध्यम से उन्हें सी जी नेट स्वर के बारे में बताया जाता है. सी जी नेट स्वर के ट्रेनर आदिवासी इलाको में जाकर सी जी नेट स्वर की जानकारी देते है. सी जी नेट स्वर के बारे में और अच्छे से बताने के लिए जनपत्रकारिता यात्रा भी शुरू की गई है जिनके माध्यम से उनको सी जी नेट स्वर के बारे में बता' सके. आज हर गाँव में मोबाईल है अगर एक गाँव में अगर एक आदमी के पास भी मोबाइल हो तो वो वहां की बाते बता सकते है बीबीसी ने काफी सारे सी जी नेट स्वर के मुद्दों को उठाया है
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