Sunday, 11 January 2015

खतरे में बच्चों का भविष्य

राहुल शर्मा
 
बच्चे देश का गौरव होते हैं. बच्चे अपने देश और समाज का भविष्य होते हैं. सोचिये अगर बच्चों का भविष्य ही खतरे में नजर आने लग जाये तो देश और समाज के भविष्य कैसा होगा, जी हां बढ़ते आधुनिकता के इस दौर में हर माता-पिता अपने बच्चों की खुशी के खातिर उन्हें तमाम तरह की सुविधाएं प्रदान करते हैं लेकिन वही खुशी उनके बच्चों के लिये घातक सिद्ध हो रहा है. आज सड़क पर दुपहिया वाहन चलाने वाले बच्चों की कमी नहीं है. ये बच्चे सड़क पर ऐसे गाड़ी चलाते नजर आते हैं जैसे वीडियो गेम खेल रहे हो. भीड़-भाड़ वाले बाजार हो या व्यस्त सड़क इनकी रफ्तार थमने का नाम नहीं लेती। ऐसा करके वो खुद किसी हादसे को निमंत्रण देते है. वास्तव में इन बच्चों से ज्यादा जिम्मेदार उनके माता-पिता हैं, जो अपने बच्चों को हादसे की सामग्री खुशी खुशी दे देते हैं. ज्यादातर माँ‌-बाप इसे अपनी शान समझते है वो इस बात को नहीं समझ पाते कि वो अपने बच्चों का भविष्य अंधकार में डाल रहे हैं.
 
कानूनी तौर पर भी 18 साल के बच्चों का वाहन चलाना दंडनीय अपराध है और इसके लिये जुर्माना भी होता है. आज देश में होने वाले सड़क हादसों में ज्यादातर संख्या 18 साल से कम उम्र क बच्चों की है. ऐसे में अभिभावकों को चाहिये कि वो अपने बच्चों की जीद्द के आगे झुकने के बजाय उन्हें समझाने की कोशिश करें. अन्यथा दिन-प्रतिदिन ये हादसे बढ़ते रहेंगे और बच्चों के साथ-साथ देश का भविष्य भी खतरे में पड़ जायेगा.

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