Sunday, 11 January 2015

'परी' भारत के गाँवों का संग्रहालय : पी. साईनाथ

बिपिन बिहारी दुबे

भारत गाँवो का देश है. भारत की 83 लाख आबादी गाँवो में रहती है. इसलिये कहा भी जाता है कि भारत की आत्मा गाँवों में निवास करती है. बढ़ते आधुनिकीकरण के इस दौर में भारत के गाँव उनकी भाषा विलुप्त होती जा रही है. जिस प्रकार देश में ज्यादा से ज्यादा स्मार्ट शहरों के निर्माण की बात की जा रही है ऐसा लगता है आने वाले समय में इनके विलुप्त होने की रफ्तार बढ़ने ही वाली है.
  विलुप्त होते इन गाँवों की संस्कृति को समेटने का प्रयास कर रहे है जाने माने पत्रकार पी. साईनाथ. PEOPLE’S ARCHIVE OF RURAL INDIA  नाम के वेबसाईट के जरिये साईनाथ गाँवों की विविधताओं को संग्रहीत कर रहे है. साईनाथ www.ruralindiaonline.org के पते पर भारत के विलुप्त होते गाँव उनके भाषा, संस्कृतियों, रहन-सहन, खान-पान, का संग्रहालय बनाने का प्रयत्न कर रहे है. जिससे आने वाले समय जब हम अपने गाँवों के बारे में जानने की कोशिश करे तो इधर-उधर भटकने की बजाय हम इस संग्रहालय का लाभ उठा सके. इस वेबसाइट पर कहानियाँ, रिपोर्ताज, तस्वीरें, ऑडियो, वीडियो सब जमा किया जाता है. इस वेबसाइट पर उपलब्ध हर सामग्री को निःशुल्क प्राप्त किया जा सकता है. जिसका लाभ आप अपने स्कूल, कॉलेज के लिये प्रोजेक्ट बनाने, रिसर्च आदि में कर सकते है.
   साईनाथ विलुप्त होती संस्कृतियों पर दुख जताते कहते हुए है कि भारत में लगभग 700 बोलियाँ बोली जाती है. जिनमे से कई बोलियाँ मिट रही है. जैसे त्रिपुरा में बोली जाने वाली एक बोली है ‘सैमर’.  जिसे अब सिर्फ सात लोग बोलने वाले बचे हैं. इस वेबसाईट को ऐसे ही विविध साहित्य, संस्कृति, कला, पेशा,उपकरणों को बचाने के उदेश्य से तैयार किया गया है. केरल के छोटे से गाँव में एक व्यक्ति अपना पुस्तकालय चलाता है. जहाँ एक पुस्तक पढ़ने के लिये एक कप चाय दिया जाता है. इस छोटे से पुस्तकालय में पहले 73 पुस्तकें थी. वेबसाईट पर आने के बाद से इस पुस्तकालय में दो महिने के अंदर लगभग 1100 पुस्तकें हो चुकी है। साईनाथ कहते है कि इस वेबसाईट का उदेश्य ऐसी कोशिशों को बल देना भी है.
 
इस साइट का संचालन The Counter Media Trust की तरफ से किया जा रहा है. यह एक तरह की अनौपचारिक संस्था है. जो सदस्यता शुल्क वोलिंटियर,चंदा, और व्यक्तिगत सहयोग से चलता है. इसमें रिपोर्टर,फिल्ममेकर, फिल्म एडिटर, फोटोग्राफर, डोक्यूमेंटरी मेकर, पत्रकार के अलावा अकादमी की दुनिया से टीचर, प्रोफेसर,आदि भी शामिल है.
 साईनाथ के इस प्रयास को पैसे से लेकर श्रम तक हर तरह के मदद की जरुरत है. इसकी अपेक्षा वो सभी आम जन से करते है. साईनाथ के इस सराहनिय प्रयास को सफल बनाने के लिये हर नागरिक की यह जिम्मेदारी है कि वह इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे. साईनाथ ने यह भी बताया की इस काम को वो एक प्रोजेक्ट के तहत कर रहे हैं.
                               

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