Wednesday, 21 January 2015

बलिया के लाल का दिल्ली में सम्मान


नई दिल्ली. पत्रकारिता में लगातार हिंदी की प्रतिष्ठा के लिए कलम से संघर्षरत उमेश चतुर्वेदी को 2014 के प्रतिष्ठित काका साहब कालेलकर पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. उन्हें यह सम्मान काका साहब कालेलकर द्वारा स्थापित गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा और विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान ने संयुक्त रूप से दिया है. श्री चतुर्वेदी को पत्रकारिता जगत का यह प्रतिष्ठित सम्मान राजधानी दिल्ली में गांधी जी की समाधि के नजदीक स्थित सन्निधि सभागार में मशहूर गांधीवादी और सर्वोदयी कार्यकर्ता रामचंद्र राही और गांधी शांति प्रतिष्ठान के सचिव सुरेंद्र कुमार के हाथों दिया गया. आपको बता दें कि गांधीजी के अनन्य सहयोगी काका साहब कालेलकर ने ही सन्निधि सभागार को स्थापित किया है. बलिदानी बलिया जिले के बघांव गांव के निवासी उमेश चतुर्वेदी हिंदी के मशहूर स्तंभकार हैं और इन दिनों प्रतिष्ठित लाइव इंडिया टेलीविजन चैनल के दिल्ली दफ्तर में वरिष्ठ कार्यक्रम निर्माता के तौर पर कार्यरत हैं. श्री चतुर्वेदी को दिए गए प्रशस्ति पत्र में गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा ने लिखा है कि हिंदी के लिए ईमानदार लड़ाई के लिए श्री चतुर्वेदी युवा पत्रकारों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. उन्हें पुरस्कार दिए जाने के मौके पर रामचंद्र राही ने कहा कि बाजारवाद के दौर में साहित्य और पत्रकारिता को मार्केट और मार्केटिंग के सहारे आगे बढ़ना पड़ रहा है. लेकिन श्री चतुर्वेदी जैसे पत्रकार इस दौर में भी हिंदी और हिंदी पत्रकारिता के लिए उम्मीद की किरण बने हुए हैं. इस मौके उमेश चतुर्वेदी ने हिंदी के लिए रोमन लिपि अपनाए जाने के चेतन भगत जैसे लेखकों के अभियान का पुरजोर विरोध किया. श्री चतुर्वेदी ने कहा कि इससे हिंदी की पहचान खो जाएगी. उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता के तेज को बचाए रखने में पत्रकारों के साथ ही पाठकों की जनपदीय सोच ही मददगार होगी. राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के संस्थापक को मशहूर स्वतंत्रता सेनानी काका साहब कालेलकर के नाम पर सम्मानित होने वाले उमेश
चतुर्वेदी बलिया के बघांव गांव के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक सुरेंद्र नाथ चतुर्वेदी के बेटे हैं. चतुर्वेदी ने जिले के प्रतिष्ठित सतीश चंद्र कालेज से एम ए हिंदी की पढ़ाई पूरी की है. इसके बाद उन्होंने दिल्ली का रूख किया और प्रतिष्ठित भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा के साथ ही हिसार विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमएससी की डिग्री हासिल की है. चतुर्वेदी ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय, कोटा मुक्त विश्वविद्यालय और मानव रचना इंटरनेशन यूनिवर्सिटी के पत्रकारिता पाठ्यक्रम ना सिर्फ तैयार किया है, बल्कि उसके कई हिस्सों को लिखा भी है. पत्रकारिता पर उन्होंने बाजारवाद के दौर में मीडिया नाम से किताब भी लिखी है. माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के लिए उन्होंने टाइम्स ऑफ इंडिया समूह के मशहूर साप्ताहिक दिनमान का शोध आधारित मोनोग्राफ लिखा है. चतुर्वेदी पत्रकारिता के साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय, भारतीय जनसंचार संस्थान, माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय और केंद्रीय हिंदी संस्थान में बतौर विजिटिंग औरअतिथि प्राध्यापक पढ़ाते भी हैं.

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