शक्ति मिश्रा
नई दिल्ली, मण्डी हाउस के श्रीराम सेन्टर प्रेक्षागृह में पिछले 16-22 मार्च के बीच ‘ भारतेन्दु नाट्य उत्सव ‘ का आयोजन किया गया। इस समारोह का आयोजन साहित्य कला परिषद की ओर से कराया गया। नाट्योत्सव का उद्घाटन दिल्ली प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दिल्ली प्रदेश सरकार के वर्त्तमान कला एवं संस्कृति मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर थे। इस नाट्य महोत्सव में गत वर्ष के उत्कृष्ट नाटकों की कलात्मक छवि को प्रस्तुत किया गया । सात दिनों तक चलें इस नाट्य महोत्सव में देश के तमाम जाने माने कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी ।इन सात दिनों में सात नाटक को 16-22 मार्च , प्रतिदिन,सायं 6:30 से प्रस्तुत किया । इन सातों नाटकों में पहला नाटक "16 मार्च दिन-सोमवार, शीर्षक -'गजब तेरी अदा', आलेख एवं निर्देशन- वामन केन्द्रे , दूसरा नाटक 17 मार्च, दिन-मंगलवार,शीर्षक-'बेबे का चम्बा', आलेख-फ़ेडरिको गार्सिया लोरका , नाट्य रूपान्तरण-नीना बाघ, निर्देशन-सोहेला कपूर , तीसरा नाटक 18मार्च दिन-बुधवार, शीर्षक- 'दारा' , आलेख-सूर्यकान्त त्रिपाठी, निर्देशन-त्रिपुरारी शर्मा, चौथा नाटक 19मार्च दिन-गुरूवार,शीर्षक-'अग्नि और बरखा', आलेख-गिरीश कर्नाड, नाट्य रूपान्तरण-रामगोपाल बजाज, निर्देशन-के.एस.राजेन्द्रन, पाँचवा नाटक 20मार्च, दिन-शुक्रवार, शीर्षक-'मुद्रा राक्षस', आलेख-विशाखदत्त, हिन्दी रूपान्तरण-बेगम कुदसिया जैदी, निर्देशन-एम.एस.सथ्यू/के.के.कोहली, छँठा नाटक 21मार्च दिन-शनिवार, शीर्षक-'गदल', कहानी-रांगेय राघव, नाट्य रूपान्तरण-सुमन कुमार, निर्देशन-सतीश आनन्द, सातवाँ और आखिरी नाटक 22मार्च दिन-रविवार, शीर्षक-'शाहजहाँ-ओ-मुमताज, आलेख-दिलीप हिरो, निर्देशन-डा.सईद आलम थे । ये सातों नाटक अपने आप में से देश सबसे उत्कृष्ठ नाटकों में से एक थे । इन सातों नाटकों में मुगल कालीन घटनाओ पर आधारित नाटक मेरे मतानुसार सबसे उमदा और बेहतरीन रहे । चाहे वह 'दारा' हो या 'शाहजहाँ ओ मुमताज' । इस उत्सव में बड़ी रोचकता और प्रफुल्लित मन से लोंगो ने सराहा। छोटी मुम्बई कहे जाने वाले मण्डीहाउस के श्री राम सेन्टर में नाटक के प्रति युवाओ के साथ-साथ बुजुर्ग और वरिष्ट नागरिकों में भी अधिक लालसा देखी गयी ।नाटकों का सिलसिला सातों दिन अपने चरम पर था ।दर्शकों की भीड़ और कलाकारों का बेहतरीन अभिनय की झलक बेहद अलग है।अंतिम दिन 22मार्च के नाटक 'शाहजहाँ ओ मुमताज' को देखने के लिये लोग दीवाने हो गये । यह अंतिम दिन का अंतिम नाटक दर्शकों का मन मोह लिया ।
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