Friday, 12 June 2015

छतीसगढ़ सांस्कृतिक विरासत से सम्पन्न...

शिवांजलि पाण्डेय
जीवन तो एक यात्रा है, जो की जीवन पर्यत्न चलती रहती है और हम उसे तय करने वाले अडिग साहसी पथिक होते हैं,  जो की इस टेढ़े-मेढ़े जीवन रुपी रास्ते पर अपनों आपको चलाते रहतें हैं. पर आखिर हर चीज का तो कहीं न कहीं आखरी पड़ाव तो पड़ता ही है. आखिर ये भी तो जिंदगी ठहरी.
आज मेरे जीवन को भी एक पड़ाव मिला, आज तक मैंने बहुत कुछ सीखा और बहुत कुछ देखा पर अब मुझे इस ठहराव पर एहसास हुआ की आज तक जो भी देखा वो तो एक सुखद भ्रम था.  सच्चाई तो आज मेरे आँखों के सामने थी.
जीवन में मुझे एक बहुत ही ख़ास मौका मिला था, कुछ नया सीखने का वो भी सीजीनेट स्वर के माध्यम से. रायपुर से करीब 30 किलोमीटर दूर, नया रायपुर नाम की एक नई सिटी जो की लोगों की शोरगुल से कोसो दूर थी और नया रायपुर की शोभा बढाती और लोगो को अपने ओर लुभाती पुरखौती मुक्तांगन में स्थित आदवासी संग्रहालय. इसी जगह पर 7 दिन की सीजीनेट स्वर के द्वारा एक कार्यशाला आयोजित की गयी जिस में हिंदी और गोंडी से आये हुए लोगों ने अपनी कला का खूब प्रदर्शन किया. यहाँ पर हमने भी काफी कुछ सीखा जब से मैं यहाँ आई मेरे मन में एक ख्वाहिश हो गयी की आखिर इस मुक्तांगन का इतिहास क्या है ? मेरे इस प्रश्न का जवाब बड़ी जल्दी मिल गया पूरखौती मुक्तांगन का उद्घाटन माननीय छतीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह जी ने 12 दिसम्बर 2002  को 10 बजकर 30 मिनट पर किया था. यह पूरा मुक्तांगन 10 एकड़ भूमि पर  बना हुआ है और जनजातीय इतिहास और कला संस्कृती को सुरक्षित रखने के लिये इस मुक्तांगन को बनाया गया. लोगों से इतनी सारी नई बाते जानकार बड़ा ही अच्छा लगा एक और महिला से पता चला की मुक्तांगन का पहले का नाम तूता गाँव था जिसको बाद में ही बदलकर नया रायपुर रख दिया गय.
इस तरह की नई और रोचक जानकारियाँ जो की अपने आप में क्या-क्या समेट रखी थी, आज सुनने को मिल रहा था अब जब बात रायपुर की हो रही है तो यहाँ पर छतीसगढ़ के बारे में भी थोड़ा पता चला क्योंकि रायपुर तो छतीसगढ़ की ही राजधानी है.
छतीसगढ़ की संस्कृति सम्पूर्ण भारत में महत्वपूर्ण स्थान है और भारत के ह्रदय स्थल पर स्थित यह प्रदेश जो भगवान श्रीराम की कर्मभूमि रही है. प्राचीन कला और संस्कृति, इतिहास और पुरातत्व की द्रष्टि से अत्यंत सम्पन है. कहा जाता है कि यहाँ पर कुछ ऐसे प्रमाण मिले हैं की जिस से पता चलता है की श्रीराम माता कौशल्या छतीसगढ़ की ही थी. यहाँ के प्रसिद्ध उत्सव नृत्य, संगीत, मेला-मडई तथा लोक शिल्प इसकी सुन्दरता में चार चाँद लगाते हैं. एक तरफ यहाँ का उत्सव तो दूसरी तरफ इनका त्यौहार जैसे बस्तर का दशहरा तो रायगढ़ का गणेश उत्सव और विलासपुर का राउत मढ़ई कुछ ऐसे ही त्यौहार है जो इनकी विशिष्ट पहचान है.
छत्तीसगढ़ की राजधानी बनी रायपुर पहले मध्यप्रदेश का एक हिस्सा था जो 1 नवम्बर 2002 में को रायपुर का राजधानी बनाया जब यह मध्यप्रदेश का हिस्सा था तब यह इंदौर के बाद मध्यप्रदेश का दूसरा बड़ा व्यापारिक केंद्र था. रायपुर की संस्कृति छतीसगढ़ी की ही संस्कृति मानी गयी है. छतीसगढ़ी स्थानीय भाषा है जिसे अधिक से अधिक लोग बातचीत के लिये पसंद करते है और यहाँ की संस्कृति अपने आप में रोचक और समृद्ध है, इस संस्कृति के पास गीत और संगीत की एक अद्वितीय  शैली है.
शउतनाचा, देवरनाचा, पंथी सुवा, पड़की, पंडवानी नृत्य इनमे से कुछ एक है बातो-बातों में ये भी पता चला की इस क्षेत्र में (पंडवानी ) महाभारत को संगीत रूप में प्रस्तुत करने की एक विशेष शैली है. इतनी सारी बात एक साथ पता चलने पर मैं मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि आज मेरी जिंदगी जिस पड़ाव पर रुकी थी वो बहुत ही अलग था.
अब लोगो से बात करते-करते मुझे भी थोडा भूख का एहसास हुआ तो मन में बात और उभरी की आखिर यहाँ की खाने में सबसे प्रसिद्ध चीज क्या होगी फिर मैंने लोगो से पूछा तो उन्होंने बताना शुरू किया की यहाँ के खाने के साथ चटनी और आचार का बहुत ही महत्व है और यह खाने का अंग माना जाता है कुसली, काजू, बर्फी, जलेबी, खुरमा मूंगदाल का हलवा स्थानीय लोगो काफी पसंद करते है इस तरह तमाम तरह के लोगों से बात करके रायपुर और छतीसगढ़ की संस्कृति के बारे में जो पता चला वो मेरे लिये काफी नया था यहाँ के कुछ मशहूर पर्यटन स्थल नगरघड़ी, बुद्धा तालाब, दूधाधारी, मंदिर नंदनवन, बंजारी माता गुरु घासीदास स्मारक संग्रालयह, जैन मंदिर, चंपारण, आरम का मंदिर, गाँधी का मंदिर आदि यहाँ के प्रसिद्ध स्थान है.
नया रायपुर 21वी सदी के भारत का पहला सुव्यवस्थित और योजनाबद्ध बसाहट वाला पर्यावरण हितैषी शहर माना जाता है इतना ही नही बल्कि स्वतंत्र भारत में गुजरात के गांधीनगर, पंजाब के हरियाणा के चंडीगढ़ और ओडिश के भुनेश्वर के बाद यह देश का चौथा सुव्यवस्थित राजधानी शहर माना गया है रायपुर के अंदर छुपी इतनी सारी बातें मुझे अब पता चल रही थी शहीद वीर सिंह नारायण इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम जो की हवाई अड्डे से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है उसके बारे में भी लोगों से सुना क्योंकि इस बार के आईपीएल में हैदराबाद और दिल्ली का एक मैच यही पर हुआ था यह स्टेडियम भारत का दूसरा बड़ा स्टेडियम है जो 2008 में बनकर तैयार हुआ था. इस तरह जीवन के सुखद इस सुखद पड़ाव और नई सीख का आनंद ले रही हूँ.

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