Saturday, 15 August 2015

कल और आज

अमन आकाश
'ये देश है वीर जवानों का', "नन्हा मुन्ना राही हूँ", "ऐ मेरे वतन के लोगों", कभी 15 अगस्त की सुबह इन्हीं कर्णप्रिय गानों की धुनों पर नींद खुलती थी.. आनन-फानन में तैयार होकर हाथ में तिरंगा लिए, देशभक्ति से लैश हम 10 मिनट में घर से स्कूल पहुँच जाते थे... जहां हमारे नन्हें-मुन्ने साथी लाल शर्ट और ब्लू पैंट (हमारा स्कूल ड्रेस) धारण किए पंक्तिबद्ध खड़े होकर देशभक्ति नारों से जमीन-आसमान एक कर रहे होते... कुछ ही देर में परेड निकलती, आगे-आगे शैलेन्द्र सर (हमारे प्राध्यापक) सफ़ेद धोती-कुरते और नेहरू टोपी से सज्जित, माइक पर नारे लगाते और हम उनका अनुकरण करते... पता नहीं 7-8 साल की उस उम्र में हममें देशभक्ति का जज्बा था या नहीं, लेकिन हमने कभी अपना तिरंगा अपने साथियों के तिरंगे से नीचे नहीं होने दिया. हमारे अभिभावक घरों से निकलकर हमें देखने सड़क तक आते.. करीब 500 बच्चों की यह लम्बी कतार पंक्तिबद्ध कदम-से-कदम मिलाकर 5-6 किमी. की दूरी तय कर विद्यालय प्रांगण में पहुंचती, जहां हमें चक्राकार रूप में तिरंगे के इर्द-गिर्द व्यवस्थित किया जाता.. एक बार फिर देशभक्ति नारों-गानों का दौर चलता.. अंत में हमारे प्राध्यापक झंडोतोलन करते... तिरंगे से पुष्पवर्षा होती और हम "जन गण मन अधिनायक जय हे" के बोल से आसमां गुंजायमान कर देते.. फिर बंटती बताशे और जलेबियाँ... हम आज़ाद भारत के बच्चे अपने हिस्से की जलेबियों पर अपना कब्ज़ा जमाते और उछलते भागते अपने घरों की ओर... जहां-जहां झंडा फहराया जाता, वहाँ-वहाँ रुककर जलेबियाँ लेना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार होता... घर आते-आते हमारी पन्नी (पॉलीथिन) बताशे-जलेबियों-बून्दियों से भर गयी होती.. कुछ देर में हम फिर स्कूल पहुँच जाते, जहां श्वेत-श्याम चित्रपट पर फिल्म चलाया जाता.. मनोज सर "क्रान्ति" और "तिरंगा" विशेष रूप से चलवाते.. देर शाम तक हम घर लौट आते... 14 अगस्त 2015, आज के दिन मेरे कॉलेज में झंडा फहराया गया.. दिल्ली में अमूमन स्कूल-कॉलेज में 14 अगस्त को ही झंडा फहरा दिया जाता है.. हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस 14 अगस्त ही है.. 15 अगस्त की सुबह डीजे पर कानफोडू आवाज में बजते "चार बोतल वोदका" पर मेरी नींद खुली.. पता चला कि लालकिले की प्रचीर से माननीय प्रधानमंत्री जी देशवासियों को संबोधित कर चुके हैं.. मैं छत पर गया, आसमान तिरंगों की जगह पतंगों से पटा पड़ा था... "वन्दे मातरम्" की जगह "आइबो, वो काटा" सुनने को मिला.. किसी-किसी छत पर पॉप संगीत पर लोग झूम रहे थे.. गली-मुहल्लों में कोई हलचल नहीं, बच्चों में कोई उत्साह नहीं, स्कूल-कॉलेज की गेट पर ताले जड़े!! दिल्ली में 15 अगस्त था, स्वतंत्रता दिवस नहीं.. ये भी दिन अन्य दिनों की तरह बीत गया...

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