अंकुश मिश्रा
अक्षय पात्र फाउंडेशन सामान्यतः "अक्षय पात्र" के नाम से जाना जाता है जो कि एक गैर लाभ व गैर शासकीय संगठन है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में स्कूलों में मध्यान्ह भोजन देती है. यह संगठन सन् 2000 से शुरू हुई है जो आज सात राज्यों (कर्नाटक,आँध्रप्रदेश,उत्तर प्रदेश,राजस्थान,गुजरात,छत्ती सगढ़,ओड़िसा) में लगभग 6500 स्कूलों के बीस लाख से भी अधिक बच्चों को निःशुल्क भोजन उपलब्ध कराती है. इसका मुख्य केंद्र कर्नाटक के हुबली जिले में है. अक्षय पात्र का जिक्र गीता में भी मिलता है जिसमे अन्न या भोजन खत्म नही होता. कुछ इसी तरह है जहाँ हर रोज दो हजार किलो चावल,तीन हजार किलो दाल तथा छह हजार किलो सब्ज़ी बनाई जाती है जिससे करीब दो लाख डिब्बे तैयार किए जाते हैं जिसे हर रोज लगभग दो लाख से भी ज्यादा बच्चों को खाना दिया जाता है। इस संस्था की शुरुआत गैर शासकीय संगठन के रूप में हुई थी परंतु सर्वप्रथम कर्नाटक के ग्रामीण इलाकों में जबरदस्त सफलता के बाद राज्य सरकार व कॉरर्पोरेट की मदद से अक्षय पात्र आज सात राज्यों में अपनी पहचान बना चुका है। अक्षय पात्र का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों के ऐसे बच्चे जो गरीबी की वजह से स्कूल जाने में असमर्थ हैं उन बच्चों के लिए स्कूलों में भोजन उपलब्ध करना ताकि वे स्कूल जा सकें। इसी लक्ष्य को लेकर यह संस्था निरंतर काम कर रही है। जो बच्चे बाल मजदूरी और गरीबी की वजह से स्कूल जाने से वंचित थे उन्हें आज स्कूल जाने का बहाना मिल गया है. भारत सरकार द्वारा बच्चों को स्कूलों में पोषक आहार दिए जाने की शुरुआत सन् 1995 में हुई थी परंतु यह पूर्णतः सफल नही हुई लेकिन आज अक्षय पात्र फाउंडेशन ने सरकार की इस योजना में नई जान फूँक दी है. अतः भारत सरकार को भी इस योजना को मजबूती से अमल में लाने के लिए अपना योगदान देना चाहिए ताकि यह योजना पूरे देश में शुरू हो सके. भारत के साथ साथ एशिया का सबसे बड़ा रसोई कहा जाने वाला अक्षय पात्र देश व समाज के क्षेत्र में वृहद उल्लेखनीय योगदान के लिए इसका नाम आज लिम्का बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज़ हो चुका है तथा काफी सराहा गया है.
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