Monday, 5 October 2015

भारतीय राज्य व्यवस्था में किसान

अभय कुमार पाण्डेय
23 अगस्त की शाम गांधी शांति प्रतिष्ठान में अमर शहीद समृति समारोह का आयोजन किया गया। इस का  आयोजन एक संगोष्ठी के रूप में किया गया, जिसका विषय था- "भारतीय राज्य व्यवस्था में किसान"। राम बहादुर राय, डॉ. स्वामीनाथ तिवारी, रघु ठाकुर, डॉ. मयंक राय, डॉ. रामशरण जोशी,  धर्मपाल जी वक्ता के रूप में और तमाम वरिष्ठ पत्रकार और बुद्धिजीवी व्यक्ति मौजूद थे। कार्यक्रम की शुरुआत समारोह संचालक राजीव राय के सम्बोधन से हुई। इसका आयोजन डॉ. शिवपूजन प्रतिष्ठान, नई दिल्ली और सहजानंद विचार मंच जे.एन.यू. के तत्त्वाधान में किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन 18 अगस्त 1942 में गाजीपुर जिले के शेरपुर गांव में शहीद हुए 8 सेनानियों को याद करने के लिए किया गया। यह एक ऐसी शहादत थी जिसके बाद बलिया को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी मिली और बलिया आजाद होने वाला भारत का पहला जिला बना। इस कार्यक्रम के प्रथम प्रवक्ता के रूप रघु ठाकुर जी को आमन्त्रित किया गया। इन्होंने बताया कि भारत की 20% आबादी किसानों की है, लेकिन इनके लिए भारत में कोई नीति नहीं है। भारत में विकास का मतलब कॉर्पोरेट का विकास है और यह विकास किसान की हिम्मत पर हो रहा है। डॉ.स्वामीनाथ तिवारी ने कहा कि किसान खुद एक व्यवस्था है इसके लिए सरकार को कोई व्यवस्था बनाने की जरूरत नहीं बस सरकार किसानों के पूंजी की व्यवस्था कर दे। इसी क्रम में डॉ. मयंक ने कहा जिस प्रकार सभी क्षेत्र के लिए एक विशेष बजट होता है, सरकार को चाहिए उसी प्रकार से कृषि बजट भी एक अलग बजट हो। प्रो आनंद कुमार ने किसानों की महत्ता पर जोर देते हुए कहा की किसान भारतीय अर्थ व्यवस्था में उसी प्रकार है जिस प्रकार एक रथ के पहिये में उसकी धुरी। इस प्रकार से कार्यक्रम के अंतिम चरणों में श्री राम बहादुर राय जी का महत्वपूर्ण भाषण हुआ। उन्होंने कहा की भारत को कृषिप्रधान देश बोलना देश के साथ धोखा है क्योंकि यह वाक्य भारतीय नहीं विदेशी है। उन्होने कहा कृषि प्रधान देश कहने का मतलब कॉर्पोरेट को बढ़ावा देना है। उन्होंने किसानों के लिए एक ऐसी क्रांति के लिए कहा जो किसी भी किम्मत में शांत न होने वाला हो जब तक लक्ष्य की प्राप्ति न कर लिया जाये। इन्हीं  शब्दों के साथ उन्होंने अपने वाणी को विराम दिया। कार्यक्रम का समापन सुनील कुमार जी के धन्यवाद भाषण के साथ हुआ। इन्होंने किसानों के हितों के लिए कृषि नीति बनाने की वकालत की।
                   

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