Saturday, 5 September 2015

उत्तराखंड की रोमांचक कहानी

विनिता सामंत
शहरी क्षेत्रों मे आज के समय में बढ़ती व्यस्तता से व्यक्ति अब ऊब चुका है. वही रोज प्रदूषण, प्रदूषित हवा, शोर-शराबे आदि के बीच मे ही रह जाता है. इसलिए ज्यादातर लोग कुछ समय के लिए इस व्यस्तता से दूर उन हरी-भरी वादियों में शांति भरे जीवन में स्वच्छ बहती नदियों का लुफ्त उठाना चाहते हैं. अक्सर लोग मिजाज दुरुस्त करने के लिए हिल स्टेशन की तरफ ही रूख करते हैं, जैसे दार्जिलिंग, शिमला, कश्मीर, मनाली आदि परन्तु कुछ लोग उत्तराखंड की वादिओं में जाना पसंद करते हैं क्योकि वहाँ सब कुछ है जो एक व्यक्ति शांति के लिए चाहता है. वहाँ की एक और खूबी है कि वह भूमि पवित्र है, वहाँ देवताओं का वास है. ''उत्तराखंड'' जिसका शाब्दिक अर्थ उत्तर मे बसा एक भाग जिसकी खूबसूरती अतुल्य है. उत्तराखंड देवभूमि कही जाती है. 
उत्तराखंड में स्थित हर मन्दिरों की अपनी एक विचित्र और रोमांचक कहानी है. नैनीताल, भीमताल, आम्रताल जैसी नौ तालें भावली में बसी हैं. हर ताल की अपनी अलग अनूठी खूबसूरती और अनोखी कहानी है. जैसा कि नैनीताल के निवासी बताते हैं कि जब भगवान शिव माता सती के वियोग में उनका पार्थिव शरीर लेकर तांडव करने लगे जिस के फलस्वरूप ब्रह्मांड का संचालन अस्थिर होने लगा. ब्रह्मांड के संचालन की अस्थिरता को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने माता सती के पार्थिव शरीर को अपने चक्र से टुकड़े-टुकड़े कर दिए. माता सती के पार्थिव शरीर के टुकड़े धरती पर जहाँ-जहाँ गिरे वह स्थान शक्तिपीठ के रूप मे पूजी जाती है. इन्हीं टुकड़ों में से एक टुकड़ा माता सती की आँख के रूप में नैनीताल मे गिरी थी. तब से नैनीताल का यह क्षेत्र पावन माना जाता है. आज यह क्षेत्र पर्यटन स्थल के रूप मे भी काफी विख्यात है. सिर्फ नैनीताल ही नहीं अपितु कई ऐसे और भी स्थान खूबसूरती एवं पर्यटन के लिए हैं लेकिन वहाँ अभी पर्यटकों के लिए आवाजाही की व्यवस्था कम है. जल्द ही वो क्षेत्र भी विकास की ओर अग्रसर हो रहे हैं. पाताल भुवनेश्वर नामक गुफा, जो पिथौरागढ़ से पूर्व गंमोलीहार नामक स्थान पर स्थित है, काफी विचित्र है. इस गुफा के भीतर 56 करोड़ देवी-देवताओं की मूर्तियाँ है. इस गुफा मे रोज पूजा होती है. पूजा होने पश्चात ही इस गुफा को पर्यटन के लिए खोला जाता है. इस गुफा मे पांडवो की पासा खेलते हुई मूर्तियाँ, द्वापर एवं सतयुग के पत्थर जो कि वक्त के साथ घटते व बढ़ते रहते हैं, मौजूद हैं. इतना ही नहीं बल्कि वहाँ बहुत सारी मूर्तियाँ है जो अपनी अलग ही कहानी कहती है. यहाँ की वादियों में इतना सुकून व शांति मिलती है जो पूरे जहाँ मे नही है. जब सूर्य उदय होता है इन वादियों के बीच से, तब इतना मनोरम दृश्य होता है मानो सूर्य हमारे समक्ष खड़ा हो. 
उत्तराखंड सचमुच हमारे सपनों का जहाँ लगता है. जो शांति यहाँ है, प्रदूषण रहित वातावरण, नदियों की कल-कल की आवाज, पक्षियों की चहचहाहटें, हवा में एक अलग सी ताजगी, ये मनोरम दृश्य मन को मंत्र मुग्ध कर देती है.. यदि आप अपने सवप्न-रूपी स्वर्ग को देखना चाहते है तो आप देव भूमि उत्तराखंड जरूर आएँ. उस पवित्र गुफा को नमन है जहाँ देवी-देवताओं की शक्ति आज भी मौजूद है.

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