Monday, 23 November 2015

असहिष्णु होता समाज

सोनू चौबे 
इस साल दशहरे के मौके पर मैं अपने गाँव गया था । अपने जिले के मित्रों  एवं रिस्तेदारों से मिला मकसद था कि कुछ हाल-चाल हो जाये हुआ भी । लेकिन इससे हटकर कुछ और भी देखने और समझने को मिला । बिहार की सियाशी राजनीतिक गर्मी पहले के अपेक्षा ज्यादा तप रही थी । दशहरे और मुहर्रम का जश्न भी ज़ोरो पर था। दुर्गा पूजा की मूर्ति विषर्जन और मोहरम के ताजिये का जुलुस को लेकर कुछ नये तरीके से तैयारियाँ वहां देखने को मिलीं। त्योहारों में कुछ गर्मी थी । जिस भी भक्त को देखो तलवार और भाला के साथ पाया गया। अपने जिला भभुआ में रुका था। मैं एक मित्र के बड़े भाई ने मना कर दिया की रात को मूर्ति  विसर्जन में नहीं जाना है, शहर में तनाव है । लोगों में चर्चा का विषय भी।  दो दिन पहले  बाज़ार में कर्फ़्यू लग गया था । 12 बजे रात तक मुर्ति विसर्जन का और उसके बाद ताजिये का जुलुस । प्रशासन मिलिट्री के जवानो के साथ मुश्तैद था । इस बार महिला पुलिसकर्मी अच्छी तादात में उपस्थिति थीं। रात को 11 बजे  एक हुजूम श्बीप खाना नहीं छोड़ेगे और या अली या हुसैन के नारों के साथ तेजी से निकला और ज़बाब में जय श्री राम गूँज रहा था । ऐसे ही चल रहा था, अधिकतर जगहों पर यहाँ तक की गाँव भी इसकी चपेट में था । कुछ लोग बात कर रहे थे की ये सब चुनाव की वजह से हो रहा है । कोई मुख्यमंत्री को गाली देता, तो कोई प्रधानमंत्री को लेकिन बदलाव तो था सबके रवौये में एक एक उग्रता और कट्टरता अपनी चिजों को लेकर । कहीं मस्जिद की दीवार गिराई गई तो कहीं विसर्जन में बाधा, ऐसा ही चल रहा था लगभग 20-25 बाज़ारों और गाँव में । 4-5 लोग घायल 4-5 मौतें भी हुई हैं। । 7 दिन रहा जहाँ भी जाता कहीं न कहीं दो चार बातें इसको लेकर सुनने को मिल ही जाती । बहुत हैरानी थी इसको लेकर की यह सब कौन कर रहा है और क्यों कर रहा है। इसमें कोई एक व्यक्ति नहीं था पुरी की पुरी की जमात नज़र आती थी। बार-बार मन के अंदर एक ही प्रश्न उठता ऐलोग इतना तनाव में क्यों आ गयें है। इन सबके सवाल क्यों बदल रहें। वास्तविक जिन्दगी से दूर क्यों जा रहे हैं। मेरा शहर भी बटा हुआ है, यहाँ धार्मिक नहीं बल्कि जातिगत बटवारा है । बनिया, ब्राह्मण, क्षत्रि, सबका पूजा अपने तरीके से है । शायद यही असहिष्णुता है। यदि है तो ये सच है की हमारा गाँव शहर, राज्य और देश असहिष्णुता का शिकार हो रहा है। इसकी जिम्मेदारी राजा और प्रजा दोनों की है । समय है अपने मूल प्रश्नो पर लौटो शायद सब सुधर जाये ।

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