Monday, 14 December 2015

भारतीय भाषा एवं संस्कृति केंद्र, नई दिल्ली द्वारा गोवा में अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन

महिपाल सिंह 
भारतीय भाषा एवं संस्कृति केंद (सोसायटी फाॅर सोशल फाउण्डेशन की इकाई), नई दिल्ली द्वारा दिनांक 29 अक्तूबर 2015 से 31 अक्तूबर 2015 तक तीन दिवसीय राजभाषा सम्मेलन का आयोजन बोगमेलो बीच रिसाॅर्ट, बोगमेलो बीच दक्षिण गोवा में किया गया। राजभाषा सम्मेलन के आयोजन का मूल उद्देश्य अखिल भारतीय स्तर के मंत्रालयों/ विभागों/ उपक्रमों /स्वायत्तशासी संस्थाओं आदि से आये प्रतिभागियों को संघ की राजभाषा नीति के विभिन्न पक्षों से परिचित कराना था, ताकि देश में संघ की राजभाषा नीति का उत्तरोत्तर प्रगामी प्रयोग सुनिश्चित हो सके।
सम्मेलन का उद्घाटन दिनांक 29 अक्तूबर 2015 को अपरान्ह 2.30 बजे कोंकणी, हिंदी एवं पुर्तगाली के भाषाविद् डाॅ. नागेश कर्मली द्वारा किया गया। विभिन्न सत्रों के उपरान्त समापन समारोह एवं शील्ड तथा प्रमाणपत्र वितरण कार्यक्रम गोवा की महामहिम राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा जी के करकमलों से संपन्न हुआ।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में हिंदी कोंकणी, पुर्तगाली के भाषाविद् डाॅ. नागेश कर्मली ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि हिंदी और कोंकणी भाषा का तुलनात्मक अध्ययन बड़ा ही रोचक विषय है। उन्होंने दोनों भाषाओं के साम्य और वैषम्य की विषद् चर्चा करते हुए हिंदी भाषा के विकास और उसके राजभाषा के रूप में प्रयोग पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भाषा के रूप प्रयोग से ही परिष्कृत और सिद्ध होते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, गोवा विश्वविद्यालय प्रोफेसर रोहिताश्व ने भाषा के ऐतिहासिक परिदृश्य का वर्णन करते हुए सभी से अपना सरकारी कामकाज राजभाषा हिंदी में करने की अपेक्षा व्यक्त की। कार्यक्रम में संस्था के सचिव श्री महिपाल सिंह ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने तीन दिवसीय कार्यक्रम में विभिन्न सत्रों एवं शैक्षणिक सत्र की जानकारी प्रतिभागियों को दी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह आयोजन सभी के सहयोग से सफल एवं सुफल सिद्ध हो सकेगा। 
सम्मेलन का प्रथम सत्र ‘संघ की राजभाषा नीति’ पर प्रारंभ हुआ। इस विषय पर वक्ता के रूप में बोलते हुए श्री राकेश कुमार, उप निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, नई दिल्ली ने संघ की राजभाषा नीति के संवैधानिक प्रावधानों, राजभाषा अधिनियम 1963, राजभाषा संकल्प 1968 तथा राजभाषा नियम 1976 का वर्णन करते हुए प्रतिभागियों को बताया कि सरकार संघ की राजभाषा नीति का कार्यान्वयन प्रेरणा, प्रोत्साहन और पुरस्कार के आधार पर कर रही है। उन्होंने कहा कि आज सभी की ऐसी मानसिकता बनी हुई है कि अंग्रेजी लिखने वाला व्यक्ति अधिकारी समझा जाता है और हिंदी का प्रयोग करने वाले को उसके बराबर नहीं समझा जाता है। उन्होंने राजभाषा हिंदी के प्रयोग को आंकड़ों के आधार पर आकलन करने के बजाय उसके प्रगामी प्रयोग पर अधिकाधिक बल दिया। इसी सत्र में दूसरे वक्ता के रूप में श्री सत्यप्रकाश, संयुक्त निदेशक दूरदर्शन महानिदेशालय ने संघ की राजभाषा नीति के महत्वपूर्ण विषय धारा 3 (3) का प्रयोग, राजभाषा का प्रयोग करने के लिए पूरे भारत को ‘क’, ‘ख’ तथा ‘ग’ क्षेत्र में आने वाले प्रदेशों का वर्णन करते हुए प्रतिभागियों को इस विषय की पूरी जानकारी दी। सत्र की अध्यक्षता करते हुए श्री सुनील कुमार, संयुक्त निदेशक (राजभाषा) पर्यटन मंत्रालय ने संघ की राजभाषा हिंदी का विशद वर्णन करते हुए सभी प्रतिभागियों से अपने सरकारी कामकाज में सरल और सहज भाषा के प्रयोग पर बल दिया। 
सम्मेलन का दूसरा सत्र ‘कोंकणी से हिंदी भाषा के तुलनात्मक अध्ययन’ पर हुआ। इस विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रोफेसर रोहिताश्व, पूर्व विभागाध्यक्ष, हिंदी विभाग, गोवा विश्वविद्यालय ने हिंदी और कोंकणी भाषा के तुलनात्मक स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सभी प्रादेशिक भाषाओं और राजभाषा हिंदी में काफी समानता है, लेकिन क्षेत्रीय भाषाएं अपनी सीमाओं में रहकर अपने क्षेत्रीय स्वरूप में व्यवृहत होती हैं, जबकि राजभाषा हिंदी समूचे देश में अपने मानक स्वरूप में प्रयोग की जाती है। सत्र की अध्यक्षता करते हुए श्री नागेश कर्मली कोंकणी, हिंदी भाषाविद् ने हिंदी और कोंकणी के व्याकरणिक स्वरूपों से प्रतिभागियों का परिचय कराया। उन्होंने दोनों भाषाओं के अनुप्रयोग, उनकी प्रयोग सामथ्र्य का एक विशद वर्णन किया। 
सम्मेलन का तृतीय सत्र दिनांक 30.10.2015 को ‘अनुवाद में साॅफ्टवेयर का योगदान एवं कम्प्यूटर के माध्यम से राजभाषा का विकास’ विषय पर हुआ। इस विषय पर श्री राजेश श्रीवास्तव, सहायक निदेशक (राजभाषा) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली ने अनुवाद क्षेत्र में एक ऐसे साॅफ्टवेयर से प्रतिभागियों का परिचय कराया, जिसके माध्यम से अनुवाद करने तथा भविष्य में उसी पाठ की पुनरावृत्ति होने पर इस साॅफ्टवेयर द्वारा पहले किए गए अनुवाद को पुनः उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने भारत सरकार राजभाषा विभाग द्वारा यूनीकोड के प्रयोग पर बल देते हुए हिंदी टाइपिंग की सहज प्रक्रिया से प्रतिभागियों को अवगत कराया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक श्री सुनील कुमार ने कहा कि आज के परिदृश्य में सरकारी कामकाज के समयबद्ध गुणवत्तापरक निपटान में कम्प्यूटर अपनी अभीष्ठ भूमिका का निर्वहन करता है। उन्होंने श्री श्रीवास्तव जी द्वारा दी गयी जानकारी को उपयोगी एवं समसामयिक बताया।  
सम्मेलन का चतुर्थ सत्र ‘संसदीय राजभाषा समिति की निरीक्षण प्रश्नावली को भरना एवं उससे संबंधित प्रश्नोत्तर’ विषय पर हुआ। इस विषय पर बोलते हुए संस्कृति मंत्रालय के निदेशक (राजभाषा) श्री वी. पी. गौड़ ने विषय के संबंध में उसकी गंभीरता और महत्ता को प्रतिपादित करते हुए संसदीय राजभाषा समिति की प्रश्नावली के सभी पक्षों से प्रतिभागियों का परिचय कराया। उन्होंने संसदीय राजभाषा समिति के निरीक्षण से संबंधित व्यवस्थाओं को गंभीरता से करने और उस दौरान अनुशासन बनाये रखने पर भी बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए निदेशक, डी. जी. एस. एन. डी. श्रीमती राजबाला सिंह ने कहा कि राजभाषा के क्षेत्र में संसदीय राजभाषा समिति की अपनी अहम भूमिका हैं उन्होंने बताया कि मुझे इस समिति के निरीक्षण का अनुभव है। अतः इस निरीक्षण को हम सबको बड़ी गंभीरता से लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे आशा है कि इस विषय के संबंध में वक्ता द्वारा रखे विचारों से सभी लाभान्वित होंगे।
दिनांक 30.10.2015 को अपरान्ह 2.00 बजे सम्मेलन का शैक्षणिक भ्रमण संपन्न हुआ।
दिनांक 31.10.2015 को सम्मेलन का पंचम सत्र ‘राजभाषा हिंदी के प्रयोग में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयां’ विषय पर वक्ता के रूप में बोलते हुए श्री रामनिवास शुक्ल, पूर्व संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने प्रतिभागियों को राजभाषा हिंदी के प्रयोग में वरिष्ठ अधिकारियों की मानसिकता और राजभाषा में काम करने में उनमें प्रतिबद्धता का अभाव, संवैधानिक उत्तरदायित्व का अभाव, संघ की राजभाषा नीति की जानकारी न होना, हिंदी भाषा को रोजगार से जोड़ने, हिंदी को अनुवाद की भाषा न बनाया जाना, राजभाषा के कार्य को अन्य कार्यों के समान प्राथमिकता देना, राजभाषा अधिकारियों में प्रबंधकीय भूमिका का अभाव, राजभाषा से जुड़ी समितियों में अपने दायित्व निर्वहन में गंभीरता का अभाव, भाषा सामथ्र्य से परिचित होने का अभाव जैसे महत्वपूर्ण कारणों का उल्लेख करते हुए सभी प्रतिभागियों से अपना सरकारी कामकाज अधिकाधिक राजभाषा हिंदी में निष्पादित करने का अनुरोध किया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए वाणिज्य मंत्रालय की निदेशक (राजभाषा) श्रीमती देवकी ने भी शुक्ल द्वारा भाषा के क्षेत्र में दर्शाई गयी कमियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि हम सबको इन समस्याओं का निराकरण करते हुए राजभाषा के प्रयोग में अनुवाद का सहारा न लेकर अपना मौलिक कामकाज राजभाषा हिंदी में करना चाहिए।
सम्मेलन का 6वां सत्र ‘राजभाषा हिंदी का मानकीकरण’ विषय पर हुआ। इस विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री राकेश दुबे, उपनिदेशक (राजभाषा), व्यय विभाग, नई दिल्ली ने भाषा के मानकीकरण स्वरूप की विस्तृत व्याख्या करते हुए प्रतिभागियों को बताया कि भाषा जब प्रयोग स्तर पर अपना विकास सुनिश्चित करती है तब उसके एक मानकीकरण स्वरूप निर्धारण की आवश्यकता होती है, ताकि वह भाषा समूचे देश में एक ही स्वरूप में प्रयोग की जा सके। उन्होंने हिंदी क्षेत्र के मानकीकृत शब्दों, रूपों का परिचय कराते हुए विषय की गंभीरता से सभी को परिचित कराया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए श्री रामनिवास शुक्ल, पूर्व संयुक्त निदेशक (राजभाषा) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने श्री दुबे द्वारा विषय प्रतिपादन की प्रशंसा करते हुए बताया कि कोई भी भाषा जब अपनी आंचलिक सीमाओं से निकलकर वृहद क्षेत्र में प्रयोग की भाषा बनती है और अपना विकास सुनिश्चित करती है तो उस भाषा के एक स्वरूप को सुनिश्चित करने के लिए भाषा के मानकीकरण की आवश्यकता होती है। 
सम्मेलन के सप्तम सत्र ‘वार्षिक कार्यक्रम के विचारणीय बिंदु’ पर वक्ता के रूप में बोलते हुए श्री सुनील कुमार, संयुक्त निदेशक (राजभाषा) पर्यटन मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा जारी वार्षिक कार्यक्रम के सभी बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा की। उन्होंने इस वार्षिक कार्यक्रम की महत्ता और उसके निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने के लिए सभी प्रतिभागियों से अनुरोध किया। सत्र की अध्यक्षता श्रीमती देवकी, निदेशक वाणिज्य मंत्रालय ने की। उन्होंने वार्षिक कार्यक्रम में निर्धारित लक्ष्यों को गंभीरता से पूरा करने पर बल दिया। 
सम्मेलन का समापन समारोह अपरान्ह 2.00 बजे प्रारंभ हुआ। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में गोवा की महामहिम राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा उपस्थित थीं। समारोह में गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक रियर एडमिरल (रिटायर्ड) श्री शेखर मित्तल विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे। 
समारोह के प्रारम्भ में समिति के सचिव श्री महिपाल सिंह एवं श्रीमती संगीता श्रीवास्तव ने मुख्य अतिथि का पुष्प गुच्छ एवं शाल भेंट कर स्वागत किया। कार्यक्रम में अन्य अतिथियों का भी संस्था की ओर से पुष्प गुच्छ से स्वागत किया गया। इस अवसर पर संस्था द्वारा प्रकाशित पत्रिका ‘सांस्कृतिक समन्वय’ का विमोचन गोवा की राज्यपाल महामहिम श्रीमती मृदुला सिन्हा द्वारा किया गया। उन्होंने कहा कि इन पत्रिकाओं का प्रकाशन नवोदित रचनाकारों में एक नई ऊर्जा का संचार करता है, ताकि वे एक सुधी रचनाकार की भूमिका का निर्वाह कर सकें। श्रीमती मृदुला सिन्हा ने अपने उद्बोधन में राजभाषा हिंदी के विकास और प्रचार-प्रसार में निजी संस्थाओं की अहम भूमिका का वर्णन करते हुए बताया कि इन भाषाई आयोजनों से एक सापेक्ष भाषाई वातावरण का सृजन होता है, जिससे भाषा एक नई ऊर्जा लेकर अपने गंतव्य की ओर अग्रसर होती है। उन्होंने हिंदी भाषा के प्रति अपने अनुराग और प्रतिबद्धता का वर्णन करते हुए प्रतिभागियों को अवगत कराया कि उन्होंने जीवन में हिंदी भाषा के माध्यम से अपने जीवन की हर अनुभूति को व्यक्त किया है। मुझे इसके लिए कभी भी अंग्रेजी भाषा के शब्दों की सहायता की आवश्यकता नहीं हुई। उन्होंने बताया की अपनी भाषा के प्रति आस्था और प्रेम होना आवश्यक है, फिर भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम बन ही जाती है। उन्होंने संस्था द्वारा आयोजित इस सम्मेलन के लिए संस्था को साधुवाद दिया और सभी प्रतिभागियों से अपना दैनिक कार्य राजभाषा हिंदी में निष्पादित करने को कहा।
समारोह में विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रियर एडमिरल (रिटायर्ड) श्री शेखर मित्तल ने कहा कि महामहिम राज्यपाल महोदया की उपस्थिति पाकर यह कार्यक्रम अधिकाधिक गौरवान्वित हुआ है। श्री मित्तल ने गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में राजभाषा हिंदी की बेहतर दिशा और दशा का वर्णन करते हुए प्रतिभागियों को बताया कि गोवा शिपयार्ड लिमिटेड को वर्ष 2014-15 में विज्ञान भवन, नई दिल्ली में हिंदी दिवस के अवसर पर राजभाषा हिंदी में बेहतर कार्य निष्पादन के लिए महामहिम राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त हुआ है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यह पुरस्कार किसी संस्था को भविष्य में भी कार्य करने की नई ऊर्जा और शक्ति प्रदान करते हैं। समारोह में श्री वेद प्रकाश गौड़, निदेशक (राजभाषा) संस्कृति मंत्रालय, श्रीमती राजबाला सिंह, निदेशक, डी.जी. एसएनडी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। समारोह में गोवा की राज्यपाल श्रीमती मृदुला सिन्हा के करकमलों से प्रतिभागियों को शील्ड एवं प्रमाणपत्र वितरित किए गए। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद प्रस्ताव संस्था के सचिव श्री महिपाल सिंह द्वारा किया गया। कार्यक्रम का संचालन श्री राजेश श्रीवास्तव, सहायक निदेशक (राजभाषा), स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय एवं सी. डाट की श्रीमती ममता अरोड़ा द्वारा किया गया।

No comments:

Post a Comment