Wednesday, 30 December 2015

माँ और किताबें

नेहा राय 

दिल्ली के प्रगति मैंदान में विश्व पुस्तक मेला यूं  तो हर साल लगता है, न जाने कितने सारे लोगों की भीड़ मेले के रंगों का लुत्फ उठाती है. हर किसी का आपना एक नया अनुभव  होता है, पर मेरे  लिए इस बार का पुस्तक  मेला बहेद खास था, क्योंकि  मेला मैं अपनी मां के साथ देखने आई थी. नाम तो उन्होंने बहुत सुना था पर कभी देखा नहीं था. खास कर इतनी सारी किताबें एक साथ. उनके मन में मेले की जो छवि थी वो आपने में एक अलग अर्थ गढ़ रही थी, मुझसे  बार-बार कह रही थीं कि ऐसे आयोजन छोटे शहरों में क्यों नहीं होते? साहित्य के प्रति लगाव के कारण हम पहले 11 नम्बर हाल में पहुंचे, हिन्दी की किताबें देख कर माँ का चेहरा खिल उठा किताबों में प्रेमचंद, मैत्रेयी पुष्पा आदि  की किताबें उन्होंने उठा  ली. स्टाल से निकलते वक्त नज़र पड़ी गीता प्रेस के स्टाल पर, अंदर गए बिना उनका मन नहीं माना पर निराशा ही हाथ लगी. किताबों को देखकर उनको चिढ़ हुई जैसे कि नारी का धर्म, आदर्श नारी, कुछ देर वहां की पुस्तकों को टटोलने के बाद उन्हें बाहर आना ठीक जान पड़ा.
प्रोफेसर, लेखकों,  कवियों,  मीडिया  के लोगों का आना-जाना देखकर, सहसा माँ ने मुझसे कहा कि हम जैसी स्त्रीयां कहाँ  दिखाई पड़ती हैं मेले में. कहाँ  फुर्सत मिलती होगी घर के कामों से.  मिलती भी होगी तो थोड़ा आराम फरमाना बेहतर समझती हैं महिलाएं. खैर! चलते-चलते थक जाती तो बस के सफर करन से फिर जोश आ जाता, कहतीं बताओ और कहां चलना है. बस फिर क्या था माँ को सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाने ले गई, वहां पुर्वोत्तर राज्यों के सांस्कृतिक कार्यक्रम के गीत संगीत व नृत्य ने एक अलग ही समा बांध दिया था बिहू नृत्य ने तो थिरकने पर मजबूर कर दिया था.पता ही नहीं चला शाम कब हो गई. कार्यक्रम खत्म होने के बाद हम गप्पे हाँकते हुए मेट्रो की तरफ बढ़े. और उन गप्पों में से एक बात जो मन को छू गई कि बेटा ! आप जितना भी तेज भागोगे भागना तो पैरो से ही पड़ता है, ठीक वैसे ही टेक्नोलॉजी कितना भी काम आसान कर दे आनंद तो पसीना बहाने में मिलता है. 'किताबे हमारी जड़े है हमें सभ्य बनाती हैं हमें जोड़ती है. फिर माँ ने बड़े प्यार से कहा काश के चिठ्ठी लिखने का दौर फिर लौट आए. खट्टी-मीठी यादों के सिलसिले में पुस्तक मेले का अनुभव भी यादगार रहा. 'किताबे और माँ दोनों पुरानी हो जाती है पर दोनो ही ज्ञान का सागर है जिनके बिना जीवन का सफर अधुरा है.

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