अंकुश मिश्र
खेतों की मेड़ पर, धूल भरे पावों को ।
कुहरे में लिपटे छोटे से गाँव को ।
नए साल की शुभकामनायें ।।
जांते के गीतों को बैलों की चाल को ।
करघे को कोल्हू को मछुआरे के जाल को ।
पकती रोटी को बच्चों के शोर को ।
चौके के गुनगुन को चूल्हे के भोर को ।
नए साल की शुभकामनायें ।।
देश के लिए शहीद जवानो को ।
देश के कीर्तिमानों को ।
नौनिहाल के सूंदर मुस्कानों को ।
वीर खिलाडियों के ईनामों को ।
नए साल की शुभकामनायें ।।
देश के हर छोटे बड़े इंसान को ।
बेरोजगारी से जूझते नवजवान को ।
महंगाई से लड़ते किसान को ।
नए साल की शुभकामनाएं ।।
पुरे देश को नव वर्ष की शुभकामनायें।।
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