अंकिता पाण्डेय
दिल्ली। इन दिनों अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार हमले हो रहे हैं, भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में आए दिन पत्रकारों, साहित्यकारों, लेखकों, विचारकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों या यूँ कहें की पढ़े लिखे तबके पर हमले बढे हैं, आप सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज भी नहीं उठा सकते, दक्षिणपंथी ताकतों के जरिए डर और भय का वातावरण तैयार किया जा रहा हैं, ज्ञान के केंद्र जेल में तब्दील हो गए हैं, ऐसे हालातों से निपटने के लिए 21अक्टूबर 2016 को 'नेशनल कन्सल्टेशन ऑन श्रिंकिंग डेमोक्रेटिक स्पेसेज' विषय आयोजन भी किया गया. इसी क्रम में कांस्टयूसन क्लब में पीसीएसडीएस (पीपुल्स कमिशन ऑन श्रिंकिंग डेमोक्रेटिक स्पेस) का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसमें देश भर से आए सामाजिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और संगठनो ने भाग लिया.
सार्वजनिक दायरे में बढती असहिष्णुता, भारत के बदलते राजनितिक परिवेश, लोकतंत्र के संकुचित होते दायरे तथा मानवाधिकार रक्षकों के बढ़ते उत्पीड़न की पृष्टभूमि में 17अगस्त,2015 नागरिक समाज के संगठनों के साथ एक शुरूआती बैठक नई दिल्ली में आयोजित की गयी थी। इस मसले पर व्यापक भागीदारी और लोगों की राय प्राप्त करने के लिए 11 अक्टूबर,2015 को ' नेशनल कंसल्टेशन ऑन श्रिंकिंग डेमोक्रेटिक स्पेसेज' विषय पर एक आयोजन रखा गया जिसमें यह तय किया गया की बातचीत को क्षेत्रीय स्तर पर आगें बढाया जाए। सात क्षेत्रीय और राज्यस्तरीय परामर्श सत्र बिलासपुर, गोहाटी, दिल्ली,भुवनेश् वर, बंगलूर और रांची में आयोजित किया गया.
आयोजन में पीसीएसडीएस:के ढ़ाचा, कार्यभार और सदयस्ता साथ ही टीएसडीएस के ढ़ांचे ,संरचना,कार्यभार त था संविधान के मसविदा और राज्य समन्वय समिति,राष्ट्रिय कार्यकारिणी समिति आदि के बारे में बातचीत की गई। विशेष कार्यभार और अधिकारों की बैठक आदि के बारे में भी चर्चा हुई।
आयोजन में आए सभी व्यक्तियों ने अपने सुझाव भी दिए। जैसे-इसमें ग्रामीण स्तरों से लेकर राज्य स्तर के लोगों को जोड़ना चाहिए, जेलों के भीतर के मानवाधिकारों को भी जोड़ना चाहिए, जाति भेदभाव, स्वंत्रता के साथ लोकतंत्र और मानवाधिकारों के आन्दोलन की ताकत के साथ आगे बढ़ाना चाहिए, जंगलों के बचाने, राज्यों के मुद्दों आदि को सामने लाने, पुलिस के साथ आर्मी फाॅर्स का भी नाम आना चाहिए, आदिवासी, दलितों इन सभी वर्गों आदि को ध्यान में रखते हुए कार्य प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए, मीडिया एक्टिविटी आदि। साथ ही मूल निवासियों के साथ-साथ अल्पसंख्यक का भी जिक्र किया गया। आयोजन में एक विशेष सुझाव दिया गया की इस संविधान में मेम्बरशिप की बहुत जरूरत है जो करनी चाहिए। मानीटरी कमीशन के अलवा और भी अलग-अलग स्तर के कमीशन को जोड़ते हुए आगे बढना चाहिए। मेम्बरशिप को लेकर बहुत सभी व्यक्तियों ने अपने सुझाव और अपनी सहमती जाहिर की।
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