Sunday, 24 July 2016

गणेश और आधुनिक बुद्धिजीवी

 शक्तिमिश्रा
देवताओं में भगवान गणेश हैं। गणेश अगर वेदव्यास के स्टोनोग्राफर के रूप में जाने जाते हैं तो उनकी गुणगान एक गणितज्ञ के रूप में किया जाता है। यह बात जाने माने पर्यावरणविद और गोवा फाउंडेशन के संस्थापक निदेशक डॉ क्लॉड अल्वारेस ने 'गणेश और आधुनिक बुद्धिजीवी' विषय पर प्रभाष परम्परा न्यास की ओर से गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति के सत्याग्रह मंडप में रविवार को आयोजित स्मारक व्याख्यान में कही। जनसत्ता के संस्थापक प्रभाष जोशी के जन्मदिन पर आयोजित इस कार्यक्रम में स्मारक व्याख्यान में, भुवनेश कोमकली का कबीर गायन और सहभोज के आयोजन हुए। 
उन्होंने 'गणेश और आधुनिक बुद्धिजीवी' विषय के बहाने अपने समय की तलाश कर रहे लोगों और विषयों पर चर्चा करते हुए कहा कि आज न तो गांधी, विनोबा की पत्रकारिता है न ही गांव व समाज के सरोकार से जुड़ी पत्रकारिता। देश के बुरे हालात के ये सबसे बड़े कारण हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक मुद्दों को भूलने की प्रवृत्ति के कारण ही हम जैविक खेती को भुलाकर तात्कालिक फायदे के लिए रासायनिक खेती में जुड़े लेकिन उसका खामियाजा भुगतने के बाद फिर जैविक खेती पर आ गए। भारत की समृद्ध परम्परा, विचार, अविष्कार और उत्पादन को दूसरे देश सुरक्षित और संरक्षित कर फूले नहीं समा रहे हैं पर अपने देश में उसका कोई मूल्य नहीं है। पत्रकारों,  छात्रों, साहित्यकारों की भारी भीड़ मौजूदगी के बीच कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात आलोचक प्रोफेसर नामवर सिंह ने प्रभाष जी के साथ अपने संबंधों की चर्चा करते हुए कहा कि अलग पेशा और विचार के बावजूद कब किस रूप में प्रभाष जी से लगाव हो गया, पता ही नहीं चला कि कब मैं उस परिवार का सदस्य बन गया। सिंह ने कहा कि जो देश इतने जल्दी गांधी को भूल सकता है वह किसी को भी भूल सकता है। भुलक्कड़ों के इस देश में अगर प्रभाष जोशी को अभी तक याद किया जा रहा है तो उसका श्रेय वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय को जाता है। विशिष्ट अतिथि केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री महेंद्र नाथ पाण्डेय ने प्रभाष जोशी की परम्परा को आगे बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि आज पत्रकारिता में कई गंभीर चीजें पीछे जा रही हैं। जिसका पत्रकारों पर प्रभाव पड़ना चाहिए। इस मौके पर राम बहादुर राय ने प्रभाष परम्परा न्यास की गतिविधियों की जानकारी देते हुए कहा कि प्रभाष जोशी के जीवन पर एक शोधपरक पुस्तक लिखी जा रही है और उनके नाम पर एक फेलोशिप भी शुरू की जायेगी। कार्यक्रम के दौरान प्रभाष जोशी पर आधारित एक वृत्तिचित्र भी दिखाया गया। वरिष्ठ पत्रकार एन के सिंह ने 'मीडिया आयोग की जरूरत' विषय पर कहा कि मीडिया का दायित्व इतना बड़ा है जिसे सरकार नही समझ रही है। इसीलिए तीसरे मीडिया आयोग की जरूरत है। मीडिया को भी अपनी साख बचाने के लिए अपने कंटेंट में सुधार करना होगा। मीडिया को इसमें सक्षम बनना होगा। 

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