Friday, 8 July 2016

लड़की हो ! लड़की !


मीनू त्रिपाठी की एक कविता 

यही  कहते  है  न  सब
सौभाग्य से जन्म लेती
और....
दुर्भाग्य  से बड़ी होती
जब उड़ना चाहती तो
बंदिशो  में कैद पाती
इच्छा करती तो...सुनती
लड़की हो ! लड़की !...
कदम कदम पर त्याग करती
एक इकरार करती तो....
दुनिया उस पर वार करती
फिर वह यही सुनती
लड़की ! हो लड़की !...
ज़िन्दगी वो मादा पक्षी जीती है ...पर
उड़ने के बाद वो घर लौट आती है
मादा ही तो है कोई कैद कर लेगा।
यही तो कहते है न सब
लड़की ! हो लड़की ? 

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