Sunday, 16 October 2016

फिल्म अकिरा एक बहादुर लड़की की कमजोर कहानी

मनीषा पाल 
फिल्म निर्देशक ए आर मुरुगदास द्वारा निर्देशत फिल्म "अकीरा" की कहानी एसिड अटैक जैसी अपराधिक घटना को केंद्र में रख कर बनी है. फिल्म में अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा ने अकीरा शर्मा नाम की बहादुर लड़की का रोल किया है. वह एक छोटे से गाँव की रहने वाली है. जिसने बचपन से लड़कियों के साथ होने वाले अपराध को देखा है और उससे  लड़ना सीखा है. यह फिल्म एक आत्मनिर्भर लड़की की कहानी है. इस फिल्म में महिलाओं पर हो रहे ऐसिड अटैक जैसे जघन्य अपराध को दिखाया गया है. इस तरह के अपराध के खिलाफ एक लड़की को अपने बचाव में अवाज़ उठानी चाहिए इसे फिल्म में बखूबी दिखाया गया हैं.  लेकिन अकिरा को अपने बचाव के कारण तीन साल के लिए पुलिस कस्टडी मे रखा जाता है. अकीरा जब जेल से बाहर निकलती है तो लोग उसे किस तरह की नज़रो से देखते है और समाज में उसे क्या स्थान मिला है.  

इस फिल्म में नारी शक्ती को दिखाया  गया है. मुसिबतो से पीछे ना हटने वाली अकिरा ने एक और संदेश दिया कि कोई भी हडताल या अपनी मांग अगर शांतिपूण व अहिंसक तरीके से रखी जाए तो बात को समझा व उस समस्या का हल निकाला जा सकता है. जैसे- अकिरा जब भीड में अकेली शांति से बैठी होती है और कोई भी नारे बाजी़ नहीं कर रही होती और कमीश्नर के आने तक का इंतजा़र करती है. लेकिन जहाँ अंत में फिल्म यह संदेश देती है कि हर लड़की को अकिरा जैसा बनना चाहिए.  यँहा फिल्म एक सवाल खड़े करती है कि क्या अकिरा जैसी लडकियों के लिए समाज को कुछ नहीं करना चाहिए?  क्या हर लडकी अकिरा की तरह इस तरह के समस्याओं का सामने कर पाएगी?  ये सवाल 'अकिरा' फिल्म छोड जाती है. फिल्म के क्लाईमेक्स में कोई दम नज़र नहीं आता. अकिरा को कही कोई इंसाफ नहीं मिलता. अकिरा को अंत मे अपनी सफाई पेश करने का भी मौका नहीं मिल पाता की वो पागल नहीं है,  बल्कि उसे पागल बनाया गया है.

No comments:

Post a Comment