श्रेया उत्तम
भारत का 68वाँ गणतंत्र दिवस था। आज की सुबह बहुत अलग थी। आज का सूरज अपने काले-काले बादलों रूपी केशों को मानों धो कर आया हो तभी तो उसके केशों से आज सुबह से ही पानी की बूँदें टपक रही थी, और सूरज अपने सिंदूरी गालों के कारण अदभुद लग रहा था। हवाओं में नयी ताजगी थी और इस हवा में पूरे देश में हर जगह तिरंगा हवा में शान से लहरा रहा था। आज दिल्ली तीन रंगों में दुल्हन की तरह सजी दिखी। बेहद कड़ी सुरक्षा के बीच से होते हुये राजपथ में परेड देखने का उत्साह हमें और रोमांचित कर रहा था।
आज दिल्ली के रास्ते सुबह बहुत सूने लग रहे थे लेकिन जब राजपथ पहुँचे तो लगा जैसे सब लोग यही आ गये हो।बहुत ही ज्यादा भीड़ थी, बारिश ने किसी का उत्साह कम नहीं किया था। हमें पहुँचने में थोड़ी देर हो गयी क्योंकि हमारे पास, पास था और हम निश्चिंत थे की आसानी से हमें एंट्री मिल जाएगी। लेकिन हमारे जैसे वहाँ बहुत थे ।अंदर पर्याप्त जगह होने के बावजूद सी आर पी एफ़ के जवान एंट्री नही दे रहे थे ।
हाँथो में पास लिये खड़ी जनता पहले तो अंदर जाने देने के लिये सी आर पी एफ़ के जवानों से सभ्य तरीके से कहती है लेकिन जब सुनने को मिलता है की अंदर जगह नहीं है तो सबका एक ही सवाल होता है की इतने पास क्यों वितरित किये गये जब लोगों के लिये उतनी शीटे उपलब्ध नहीं थी तो। जब बातों से बात नहीं बनती तो वही जनता थोड़ा विद्रोह और असभ्यपन दिखाने पर उतर आती है और फ़िर जवानों को पीछे हटना पड़ता है।
बहुत सुना था कि वहाँ बहुत भीड़ होती है, कुछ दिखता नहीं है पर जाने पर पता चला कि टेलीविज़न से देखने और किसी चीज़ को प्रत्यक्ष देखने में बहुत फर्क होता है।
21 तोपों की सलामी से शुरू होने वाला कार्यक्रम जवानों द्वारा राष्ट्रपति को सलामी देते हुये, विभिन्न राज्यों का प्रारूप प्रदर्शित कर उनका नेतृत्व करने वाली झाकियां दिखाते हुये तथा बच्चों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग कार्यक्रम सबका मन मोह लेता है। अंत में एयर फोर्स के विमानों का प्रदर्शन जनपथ पर उपस्थित विशाल जनसमूह के लिये सबसे अधिक आकर्षण का केन्द्र होता है। देश का 68वाँ गणतंत्र दिवस भी बीत गया, तिरंगे तुम शान से लहराते रहना। जितनी देशभक्ति हम दिमाग से सोशल मीडिया पर दिखाते हैं उससे कहीं ज्यादा हमारे दिलों में बसती है।
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