Friday, 6 January 2017

फरहान हुसैन की दो कविता

तो गम क्या है

मेरा इश्क़ गावही देता नहीं,
कि  मैं उसकी ख़ताए गिनवाते चलु
वो खुश है किसी और के साथ 
तो गम क्या है. 

खड़े हो साहिल पर तो गुमान कैसा
अब मैं
डूब जाऊ तो गम क्या है
वो खुश है किसी और के साथ 
तो गम क्या है

ज़िन्दगी एक  छोटी सी राह है
तो मलाल कैसा
आज  नहीं तो कल गुज़ज़र जायेगी
वो खुश है किसी और के साथ तो गम क्या है.



हमारे देश की नारी

हमारे देश की ये जो नारी है
पड़ेगी एक दिन हम सब पे भारी
तुम इनको कमज़ोर ना समझना
ए लोगो
ये पलट के वार करना भी जानती है

उड़ना चाहती है जब
तुम इनके पर काट देते हो,
जीना चाहती है जब,
तुम इनको मर देते हो,

करते क्यों हो ,  तुम ऐसा
कुछ तोह शर्म करो
ए लोगो

हमारे देश की यह जो नारी है
पड़ेगी एक दिन हम सब पे भरी ।


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