Sunday, 12 February 2017

मासूम बचपन और ईश्वर का पता

अपूर्व सिंह 
किसी ने सच कहा है कि बच्चे भगवन का रूप होते है. बच्चो से लगाव मुझे भी है, इसी लगाव के चलते मैं पिछले दिनों से 'उम्मीद' नामक एनजीओ में जाना शुरू किया. यह एनजीओ लक्ष्मी नगर की एक गरीब बस्ती में बच्चो को पढ़ाती है. जो बच्चें यहाँ ढाई करते हैं उनमे पढाई को लेकर बहुत लालसा है. बिना किसी झिझक ये बच्चे स्वेक्षा से पढ़ने आते  है. उनका उत्साह देखकर मैंने अपना मन बना लिया की मैं इन्हें पढाने में जी जान लगा दूंगी. उस दिन जब घर आई तो सोचा की क्यों न अगली बार जब इनसे मिला जाए तो इनसे ऐसी ही आम बातचीत की जाए.
रविवार की सुबह जब लक्ष्मी नगर गयी तो मैं बहुत उत्साहित थी और सोच रही थी कि आज क्या पढाया जाए, सोचते सोचते जब इस बस्ती में पहुची तो पीछे से आवाज सुनाई पड़ी 'दीदी-दीदी' यह आवाज सुन कर अपनापन सा लगा और जैसे मैं इन बच्चों को बरसो से जानती हूं. इन को पढाया फिर उनमे से एक शरारती बच्ची ने बोला 'भूख लगी है भूख लगी है' मैने भी उसे पढ़ने केलिए मजबूर नहीं किया. बच्ची की मुस्कान से मैं समझ गयी की अब इसे किताबी ज्ञान नहीं लेना है.  उसने मुझसे कहा 'दीदी आप दिल्ली में कहाँ कहाँ घूमी हो?' मैंने कहा कि 'पहले आप बताओ आप कहाँ कहाँ घुमी हो?' उसने झट से जवाब दिया 'दीदी अक्षरधाम, राजघाट, जामा मस्जिद' फिर मैने उसके जबाब में कहा 'जामा मस्जिद मुझे भी जाना है 'उसने एकदम से कहा 'दीदी आपको एक बात बताऊ? मेने कहा 'हाँ' तो उसने बड़ी ही मासूमियत से कहा कि 'आपको पता है अल्लाह की बहन का
नाम फातिमा है और हमारे साथ रहती है. मैं उनसे मिली हूँ और वो मुझे बहुत प्यार करती है. मैने कहा 'अच्छा तो आप मुझे भी मिलवाओगी उनसे' उसने कहा हाँ दीदी आप मेरे साथ चलना फिर वो आपको भी प्यार करेंगी' इस नन्ही सी बच्ची की बात में कितनी सच्चाई थी, वो तो उसे ही पता है. लेकिन उसकी इस मासूमियत और प्यारे से चेहरे को देखके सचमुच यकीन हो गया कि बच्चे भगवन का रूप होते है. बड़े होते ही शायद हमारा बचपना कही खो सा जाता है. बचपन सबसे हसींन होता है.
ज़िन्दगी के सबसे हसींन लम्हो में से एक लम्हा बचपन होता है. शायद ये भगवन, अल्लाह, ईशा मसीह तो हमारी सोच ने बनाए पुतले हैं. असल में तो ये सब एक ही हैं और इनके रूप अनेक हैं. बच्चे जो इन लकीरो से कोसो दूर है, जिनका उस परमात्मा के प्रति लगाव अलग है. उनका परमात्मा के प्रति विश्वास और प्यार किसी नाम का मोहताज नहीं है.

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