जयदीप कुमार
गंगा और यमुना नदी का प्रदूषण कोई नई बात नहीं हैंI लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में गंगा का सवाल उठाया था, तभी उस समय इस पर एक बहस शुरू हुई, लेकिन वह सब गंगा की सफाई तक सीमित रह गया हैं I जबकि वर्तमान समय में बढ़ती जनसंख्या व आर्थिक विकास के कारण देश में और भी कई पर्यावरणीय समस्याएं उत्पन हो रही हैं I देखा जाये तो शहरीकरण और उद्द्योगों के विकास के लिए जंगलों को नष्ट किया जा रहा है I भारत में आदिकाल से ही नदियों के महत्व को समझ लिया गया था और उसे धर्म से जोड़ा गया, ताकि नदियों को कोई प्रदूषित न करे I वाराणसी में चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी ने वादा किया था कि सत्ता में आए तो स्वच्छ गंगा संरक्षण मिशन परियोजना शुरू करेंगे I इधर गंगा के किनारे कारखाने–फैक्टरिया इन्तजार में हैं कि कब गंगा ऊपर से साफ हो और हम कब उसमें नीचे से कचरा डालना शुरू करें I मानव भी अपने–अपने मैल लिए खड़े हैं कि कब गंगा में अपने मैल धोएं I आज कल तो नेता लोग भी गंगा के ऊपर बड़ी–बड़ी बाते कहकर चले जाते हैं I लेकिन करते कुछ भी नहीं और जो पैसा गंगा की सफाई के लिए आता हैं उससें अपना पेट का वजन बढ़ाने में लगातें हैं I उनका पेट ऐसा हो जाता हैं मानों पेट में नव महीने का बच्चा हो I मेरी मानों तो किसी सफाई कर्मी से अपने पेट की सफैया करवा लें जिससे समाज में बदनामी भी नहीं होगीं I
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