जयदीप कुमार
एक-
तू कहती है मै अपनी तन्हाई में जीता हूँ
मै कहता हू मै उसकी परछाई में जीता हूँ.
वो तो हमे और ये दुनिया छोड़ कर चली गयी
लेकिन अपनी परछाई मेरे पास छोड़ गयी.
कभी अकेला होता हू तो उस परछाई से बात कर लेता हूँ
अब कभी मत कहना कि मै तन्हाई में जीता हूँ.
मै तो उसकी परछाई में जीता हूँ.
दो-
जीने कि ख्वाहिश में हर रोज मरते है
फ़ोन आये न आये हम इंतजार करते है.
झूठा ही सही तुम्हारा वादा
हम सच मान कर तुझ पर ऐतबार करते है.
तीन-
कॉलेज में बैठा दोस्त का इन्तजार कर रहा था कबका
सफ़ेद कुर्ती में दिखी मेरे सपनो की मलिका.
मेरा ध्यान वो अपनी ओर खीचे.
मुझे नहीं पता लगा कि मेरा दोस्त खड़ा है उसके पीछे
मेरे दोस्त के साथ वो मेरे पास आयी.
मुझको देख वह मुस्कुरायी
थोड़े समय के बाद हो गयी मुझसे दूर.
पर लग रही थी वो मलिका ए हूर
ओ थी किसी और के साथ.
न जाने क्यू लग रहा था वो अब भी है मेरे पास
चार-
हम तो उसके इन्तजार में अब तक बैठे है
उनको नहीं पता हम उनके कितने करीब बैठे है.
वो रहते है बड़े नवाबो के साथ
लेकिन मालूम नहीं उनको जिसके पास है वो.
उनके दिलो में कितने चोर बैठे है.
पांच-
इन्तजार नहीं ख़त्म होती उसकी इन्तजार करते करते
इन्तजार नहीं ख़त्म होती उसकी इन्तजार करते करते
इजहार करना चाहा इन्तजार करते करते.
देखता हू रोज उसको छुप छुप के.
बहुत दिनों के बाद वह मुझसे बोली
आज इन्तजार करते करते.
छः-
कॉलेज के दिन बीत जाते है सुहानी यादे बनकर
कॉलेज के दिन बीत जाते है सुहानी यादे बनकर
वहा कि बाते रह जाती है मस्तानी बनकर.
पर हम तो हमेशा आपके दिल में रहेंगे
कभी शायरी तो कभी कहानी बनकर.
सात-
तू चली गयी दूर मै गीत गाता जा रहा हूँ
तू चली गयी दूर मै गीत गाता जा रहा हूँ
तन्हाई में भी मै मुस्कुराता जा रहा हूँ.
तुमने ही कहा था हमेशा रहना खुश
बस वही वादा निभाता जा रहा हूँ.
आठ-
उसकी सूरत धडकनों में लिए जिये जा रहा हूँ
उसके हर शब्द को अमृत सा पीये जा रहा हू
वो चली गयी मुझे छोड़ कर
आज भी उसे मोहब्बत किये जा रहा हूँ.
नौ-
दर्द को दिलो में लिए जिए जा रहे है
अपने जख्मो को सिए जा रहे है.
न जाने कब मिटेगी ये दर्द मेरे दिल से और
वो जख्म पे जख्म दिए जा रहे है.
दस-
आपके जख्मो को खरीदने का हुनर रखते है
आपके दर्द को मिटाने का हुनर रखते है.
मेरे आँखों में भले आँसुओ का सागर हो
लेकिन आपको हँसाने का हुनर रखते है.
ग्यारह-
वादा करते है हम दोस्ती निभाएगे
तुमको अपने दिल में बसायेंगे.
जरूरत पड़ी तो बुला लेना
हम दिल्ली से तेरे घर पैदल चले आयेंगे.
बारह-
न कहो हमे पागल और दीवाना
हम तो लिखाते है गमो का फ़साना.
तुम कहती हो भेज दो ओ सब
जो लिखा मेरे ऊपर अब तक, (अधुरा है)
तेरह-
थोडा इंतजार करना पड़ा हमको
पर सबसे हसी यार मिला हमको.
न रही अब किसी जन्नत की तमन्ना
तेरी दोस्ती में ओ प्यार मिला हमको.
चौदह-
किसी ना किसी से प्यार जरुर करना
कोई इजहार करे तो इनकार मत करना.
अगर छोड़ कर चली जाए वो तुम्हे
तो अपनी जिंदगी ख़राब मत करना.
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