Friday, 28 April 2017

जाति है कि जाती नहीं...

श्रेया उत्तम 
दिल्ली के रामलाल आनंद महाविद्यालय में 'सामाजिक समझ का बहिष्कार' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन पछले दिनों किया गया। यह आयोजन महाविद्यालय के समान अवसर सेल ने आयोजित कराया, इस कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में फैली जातिगत व्यवस्था को हटाना, पिछड़ी जातियों को शिक्षा का समान अधिकार दिलाना, स्वस्थ अंतर्जातीय सम्बन्धों को बढ़ावा देना व पिछडे समाज (पीडब्लूडी, एसटी, एससी, ओबीसी) को  समानता का अवसर एवं हक दिलाना है। प्राचार्य "राकेश गुप्ता" ने सभी वक्ताओं का स्वागत करते हुये कहा हमारा सौभाग्य है कि आप सभी यहाँ पधारे। छात्रों को संदेश देते हुये उन्होंने कहा कि  मेहनत एवम लगन से सहज भाव दर्शा कर समाज के प्रति सक्रिय बना जा सकता है।

कार्यक्रम में हिंदू कॉलेज के इतिहास विभाग के प्रोफेसर "रतनलाल" जी ने कहा कि "समान अवसर सेल" इसलिये लाया गया क्योंकि समाज में गैर बराबरी बहुत ज्यादा है। समाज धर्म, जाति, गोत्र में इस प्रकार बटा है कि बस यही कह सकते हैं कि यह जो "जाति" है वो जाती नहीँ है।  रतनलाल जी कहते हैं आरक्षण सिर्फ़ इसलिये लाया गया जिससे ऊँचे पदों पर बैठे हुये तथाकथित ऊँची जाति के लोग पिछड़ी जाति से आये हुये लोगों पर ध्यान ही नहीं देते हैं। आज भी मनुवाद में लिखी हुई  अंधविश्वासी बात की ब्रम्हा जी के पैरों से शूद्र का जन्म हुआ और वो सिर्फ़ ऊँची जाति के लोगों की सेवा करने के लिये ही बने हैं शिक्षा प्राप्त करने के लिये नहीं, इस बात को अधिक तवज्जो मिलती है और  मेरिट/कोटा से आये हुये छात्रों को परेशान किया जाता है और उसने उनकी योग्यता का प्रमाणपत्र ठीक इस तरह माँगा जाता है जैसे कि किसी महिला से उसका चरित्र प्रमाणपत्र।  आगे उन्होंने कहा कि ये जाति न शहर में है न गाँव में है और न ही दिल में है यह बस दिमाग में बसी हुई है।

कार्यक्रम में देशबंधु कॉलेज से आये इतिहास विभाग के प्रोफेसर "हंसराज" जी ने बाबा साहेब का उदाहरण देते हुये कहा कि   समानता एक कल्पना हो सकती है लेकिन फिर भी इसे एक गवर्निंग सिद्धांत के रूप में स्वीकार करना होगा।  आजादी के समय बाबा अम्बेडकर के पास विदेश से आये हुये पत्रकार मध्यरात में पहुँचे। उन्होंने पूछा कि अम्बेडकर जी हम गाँधी जी, नेहरू जी के पास गये वो सब सो रहे हैं लेकिन आप ऐसा क्या काम कर रहे हैं जो अभी तक जग रहे हैं? बाबा साहेब ने जवाब दिया कि उनका समाज जागा हुआ है इसलिये वो सो रहे हैं और मेरा समाज सोया हुआ है इसलिये मैं जग रहा रहा हूँ।  बाबा साहेब ने जगाने का काम किया था।  6 दिसम्बर 1956 को बाबा साहेब का देहांत हुआ था और यूजीसी की स्थापना भी उसी समय हुयी थी।  यूजीसी की स्थापना के पहले पूरे देश में कुल 30 विश्वविद्यालय थे और उसमें पढ़ने वाले 50,000 विद्यार्थियों को आरक्षण होने के बावजूद नहीं दिया गया था। संविधान में सम्यावली 1922 के अनुसार दिल्ली विश्वविद्यालय के पिछड़ी जाति के छात्रों के लिये आरक्षण दिया गया है लेकिन उसे लागू नहीं किया गया था और आज भी कोई भी नेता इस पर बोलने के लिये तैयार नहीं है।

उन्होंने बताया कि समान अवसर सेल बहुत पहले बन गया था लेकिन यह 2010 से लागू हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय की व्यवस्था पर सवाल करते हुये आगे उन्होंने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रतिवर्ष 54000 छात्रों के साथ-साथ 10% अतिरिक्त छात्रों का प्रवेश कर सकता है लेकिन संस्थान 25% अतिरिक्त छात्रों को प्रवेश देता है और कोटा से आये हुये पिछड़ी जाति के छात्रों को प्रवेश देने से मना कर देता है।  पिछड़ी जाति (पीडब्लूडी, एसटी, एससी, ओबीसी) के लिये प्रति वर्ष 14 करोड़ रुपये प्रत्येक कॉलेज के लिये समान अवसर सेल की तरफ़ से आता है लेकिन उसका लाभ विद्यार्थियों को नहीँ मिल पाता है। समान अवसर सेल का कार्य ये भी है की किन्नरों को समान अधिकार मिले। इसी के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय में इस बार ट्रांसजेंडर विद्यार्थियों को भी प्रवेश दिया गया है। कुछ दिनों पहले की घटना का जिक्र करते हुये उन्होंने बताया कि 18 ट्रांसजेंडर छात्रों का दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश के समय मजाक बनाया गया कि आप लोग सच में पढ़ेंगे? हमारा उद्देश्य इसी असमानता को मिटाना है।  साथ ही साथ शारीरिक रूप से अक्षम छात्रों को भी बराबर का हक देने का कार्य समान अवसर सेल करता है। 

कार्यक्रम में जेएनयू की प्रोफेसर ज्योति अटवाल, श्रद्धानंद कॉलेज के सूरज मंडल, रामलाल आनँद महाविद्यालय के  प्रोफेसर मानवेश जी, दिनकर जी, नरेंद्र जी, पारुल जी आदि उपस्थित रहे।

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