Thursday, 12 October 2017

विश्वाश या अंधविश्वास

काजल तिवारी
विश्वास एक ऐसी चीज़ है जो लोगों को आपस में जोड़ उनमे एक आपसी रिश्ता बनाता है। विश्वास  इंसानियत के रिश्तों के पेड़ की जड़ के समान होता है जो इसकी बुनियाद को मजबूत करता है। इसमें प्यार की सिंचाई  होती है। अगर ये विश्वास ही किसी चीज़ जैसे धर्म,जाती, लिंग  आदि पर हद से ज्यादा बढ़ जाये तो वह एक अंधविश्वास जैसे जहर को पैदा कर सकता है।जो दिखता तो नहीं है, परंतु आपके दिल और दिमाग को कब्जे में ले लेता है और आप कब इस अंधविश्वास के भ्रामक जाल में खुद को फंसा हुआ पते  हैं  इसका एहसास  भी आपको नही होता।

अंधविश्वास से जुड़ी बहुत सी घटनाएं इस देश में देखी जा चुकी है। जिस की वजह से कुछ लोगों  के वजह से आम जनता को दिल व दिमाग से बुरी तरह से घायल होना पड़ा । हाल ही में हुई एक घटना का  वर्णन करुँगी जिसने पूरे उत्तर भारत की महिलाओं के बालों को काफी ठेस  पहुँचाया होगा। "चोटी कांड" एक ऐसी ही घटना थी जिसका न सिर था न पैर। जाने क्यों बस एक बीमारी की तरह पूरे देश में फैलने लगी। कुछ लोग तो इसे एक अफवाह बोल कर टाल देते थे और कुछ के घरों में तो महिलाओं की चोटी ही कट जाती थी।कई घरों के बाहर तो नीम के पत्ते भी टँगे थे ताकि बिल्ली बनी कोई चुड़ैल जो अफवाहों के तहत चोटी काटती है घर में न घुस सके। कुछ महिलायें अपने घर से कम निकलने लगी और  कुछ तो बाल ढक कर बाहर निकलने लगी। चोटी काटने की खबर टीवी, अखवारों में आने लगी और क्यों नही लोग इस बात  को सच जो  मानने लगे थे। कुछ लोग तो यह तक बोलने लगे की सरकार उन महिलाओं को दो दो लाख रुपए दे रही है। जिन की चोटी कट चुकी है।इस तरह की  काफी मजाक भरी बातें और फिजूल की बातें हर घर में आग की तरह फैल गयी।

एक जगह से तो यह खबर आई थी की एक महिला ने जान बूझकर अपनी चोटी काटी है।इस पर कई चर्चाएं हुई सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओ को लेकर। चूँकि देश में कई तरह के लोग है सबकी सोच-समझ भी अलग  है। ज़ाहिर है इस घटना पर सभी ने अपने अलग अलग मत दिए  और अलग अलग कल्पनए भी सामने आयी। लेकिन हद तो तब हुई जब एक टीवी चैनल ने इसे चीन का भेजा हुआ कीड़ा बताया। मतलब आप उस आम वर्ग को देश के नाम पर कुछ भी बताएंगे! बुरा तो तब लगता है जब लोग ऐसी बातों पर यकीन भी करने लगते हैं। हालांकि मीडिया को सब पता होता है, कानून, सरकार, पेज 3 सबकी खबरें की जड़ तक वे पहुँच जाते है लेकिन इस तुच्छ सी बात का सच बताने में असफल होने इसकी सबसे बड़ी खामी को दर्शाता है। इस घटना की खबर राजस्थान के सीकर शहर से शुरू हुई। लोगों को वट्स एप के जरिये फेक वीडियो भेजे गए। जिसमे सिर्फ एक औरत आने बाल लेकर रो गा रही थी। अब सच क्या था आजतक नही पता लगा लेकिन ये खबर कब हवा में उड़ी इसका अंदाजा भी हमें नही हुआ। अब इसका घटना का मकसद क्या था? इसका जवाब कोई नही मांग रहा है। इस घटना ने लोगों को मानसिक रूप से  घायल  किया है। चोटी काटने के शक पर कई बेगुन्हा औरतों  को भी लोगो द्वारा  चोट पहुंचाई गई। किसी जगह पर बूढी महिला को पीटा गया तो कहीं एक मानसिक तौर पर बीमार व्यक्ति की  पिटाई की गई । सिर्फ शक के आधार पर ही ये तय कर लेना की ये सही है और वो गलत कहाँ तक सही है अब आप ही इसका निर्णय कीजिये। अंत में  लोगो से अपील है कि वे  विश्वास और अन्धविश्वास में भेद करना सीखें।विश्वास करे अन्धविश्वाश  नहीं।

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