Friday, 10 November 2017

प्रदूषण का कहर

मो. खुशनूर ख़ाँ
पिछले कुछ सालों से दिल्ली  और कुछ अन्य महानगर लगातार प्रदूषण की समस्या से जूझते चले आ रहे हैं। हर साल ठंड के शुरूआती दिनों में, शहर एक धुंध में छिप जाता है। लेकिन यह धुंध कोहरा नहीं होता है बल्कि इसमें समाहित होता है कोहरा अर्थात ओस के कण व ज़हरीला धुँआ। इस धुँध की वजह से दम घुटना, आँखों में जलन होने जैसी समस्याएं होने लगती हैं। वैज्ञानिक शब्द का अगर प्रयोग करें तो यह वातावरण में दिखने वाली धुँध  "फॉग" और "स्मोक" का  खतरनाक मिश्रण है जो "स्मॉग" कहा जाता है। यह प्रदूषित स्मॉग सड़कों पर लगातार चल  रही लाखों-करोड़ों गाड़ियों से निकलने वाले हानिकारक धुंए से, फैक्ट्री से निकलने वाले धुँए व मिट्टी के कणों से पैदा होता है। मौसम विभाग के अनुसार दिल्ली में लगातार बढ़ती धुंध ने पिछले सत्तरह सालों का रिकार्ड तोड़ा है। इसलिये इससे बचने के तरीकों पर आपको विशेष रूप से ध्यान देना जरूरी है। यह जहरीला स्मॉग आपकी और आपके परिवार की सेहत के लिए खतरनाक साबित हो रहा है। स्मॉग सबसे ज्यादा परेशान उन लोगों को करता है, जिन्हें सांस की बीमारी (अस्थमा) होता है। ऐसे लोगों को बाहर निकलते ही दम घुटने जैसा महसूस होने लगता है। बाहर की जहरीली हवा में ज्यादा देर तक रहने से उनकी हालत और भी खराब हो जाती है। इस तरह की परेशानी से जूझ रहे लोगों को इस प्रदूषित वातावरण में कम ही बाहर निकलना चाहिए। 

इस स्मोग का असर सबसे ज्यादा बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों पर भी पड़ता है। बच्चों और बुज़ुर्गों का  इम्यून सिस्टम आम वयस्कों के मुकाबले कमजोर होता है। अपने बच्चों को स्मॉग से बचने के उपाय बतायें जिससे वह भी खुद की हिफ़ाजत कर सकें। बुज़ुर्गों को इस जहरीली हवा से जितना दूर रख सकें उतना ही बेहतर होगा। इसके अलावा बाहर निकलते वक्त बच्चे, वयस्क, बुजुर्ग सभी अपने लिए मास्क का प्रयोग अवश्य करें। इस जहरीले स्मॉग से बचने के लिए हम मास्क के प्रयोग के साथ मेवे, ओमेगा असिड, विटामिन डी, पौष्टिक भोजन भी लें। अपनी आँखों की सुरक्षा के लिए चश्मे का प्रयोग करें। जब भी इस तरीके के धुंध का असर हमारे शरीर पर पड़ता है तो शरीर में कुछ ना कुछ तकलीफ़ होने लगती है। जिसकी वजह से हम दैनिक जीवन के काम ठीक ढ़ंग से नहीं कर पाते हैं। किसी भी प्रकार की आँख, नाक, त्वचा आदि की समस्या होने पर फौरन ही अपने डाक्टर से मिलें। ऐसे मौसम में शरीर में होने वाली छोटी-छोटी बीमारियों  से भी अपने फैमिली-फिजीशिएन से अवगत कराते रहें। बेहतर ये होगा, आप स्वास्थ रहेंगे।

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