शक्ति सत्या
उदयपुर- राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालय थूर और इसवाल में कार्यरत पीरामल फाउंडेशन के गाँधी फ़ेलोज की उदयपुर टीम ने गाँव के प्रमुख स्थलों किताबों की दुनिया और बालसंसद को केंद्र में रखकर नुक्कड़ नाटक का मंचन किया।इस अभियान का नाम "किताबों का कोना" रखा गया। नाटक के जरिये फ़ेलोज कलाकार ने बच्चों की भूमिका लोकतंत्र के विषय में बताया। उनका कहना है लोकतंत्र समझाना है तो बालसंसद बनाना है। साथ ही मोटर साइकिल पर हैंगिंग पुस्तकालय बनाकर लोगों को पुस्तकालय के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बच्चों में चुनाव प्रक्रिया के प्रति जागरूकता फैलाना था। कार्यक्रम में समुदाय के सभी लोगों ने भाग लिया। इसमें मुख्य रूप से महिलाओं ने घर से निकल कर इस कार्यक्रम को देखा और कहा कि हम आज से ही घर में एक किताबों का कोना बनाएंगे, जिससे बच्चों को पढ़ाई और ज्ञान के महत्व के बारे पता चले और वो समाज में अपनी व्यक्तिगत भागीदारी सुनिश्चित करें। कार्यक्रम में एक नए विषय को चुना गया, जिसमें समुदाय से अपील की गयी की अपने अपने घरों में एक "किताबों का कोना" बनाएं जिससे बच्चों को किताबों के प्रति रुचि हो सके और उनका पढ़ाई लिखाई में मन लग सके।
उदयपुर टीम की फ़ेलो आएशा ने बताया कि 'किताबें जीवन को इतिहास बताती हैं और उन्हें भविष्य के लिए एक प्रेरणा देतीं हैं, घर में किताबों का होना बच्चों के भविष्य को सुचारू रूप से चलाने में मदद करेगी उनका मानसिक विकास होगा, इसलिए गांव में नुक्कड़ की संस्कृति से हम लोगों को ज्ञान की बातें बताने की कोशिश कर रहे हैं'। समुदाय के लोगों से बात चीत में पता चला कि वो अपने बच्चों के लिए सजग तो हैं पर फ़ेलोज का ये कार्यक्रम करना उनके लिए मानसिक ऊर्जा का स्रोत है।
कार्यक्रम में थूर और इसवाल के सरपंच और सामुदाय के लोग मौजुद रहे। थूर आदर्श विद्यालय के प्रधानाचार्य दीपक गौर ने भी फ़ेलोज के इस कार्यक्रम को सराहा और जागरूकता के इस अभियान पर कहा कि 'दूर दराज के राज्यों से आये ये युवा हमारे लिए बहुत सहयोगी हैं। इनका उद्देश्य भी भारत के गांवों को बेहतर बनाना है और हमारे बच्चों को एक बेहतर शिक्षा प्रणाली से जोड़ना है।
वहीं अब सरपंच का कहना है कि इससे लोगों में व्यवहार परिवर्तन दिखा है, अब हम कोशिश करेंगे कि सभी लोग अपने घरों में किताब का कोना जरूर बनाएं और आपके इस अभियान को सफल बनाएं। वहीं प्रधानाचार्य का अब कहना है कि बच्चों को नुक्कड़ नाटक की भी ट्रेनिग दी जाएगी और किताबों की महत्ता को बच्चे खुद ही अपने माता पिता के सामने प्रदर्शित करेंगे।
No comments:
Post a Comment