Tuesday, 9 October 2018

वर्तमान में महात्मा गांधी की जरूरत

शक्ति सत्या 

गाँधी की जब हम आज के वर्तमान समय में बात करते हैं तो हमें आज भी बस एक छड़ी के सहारे से चलने वाला इन्सान दीवारों पर लगी उसकी तस्वीरें और देश के लिए कुछ थोड़े बहुत आंदोलन और आज़ाद भारत के बाद उसकी हत्या इतनी ही बातें हमारे सामने आ पाती हैं। हम आज उस गांधी को भूलते जा रहें हैं जो अहिंसा और धर्म की बात किया करता था। आज लोगों को यह समझना होगा कि गांधी कोई इंसान नहीं बल्कि एक विचार है, अपने आप में ही एक धर्म है, एक जीवन जीने की कला है। गांधी हमेशा गाँव की बातें किया करते थे। आधुनिकता का पैमाना हमेशा ही उन्होंने परम्पराओं के आधार पर देखा। उन्होंने कभी भी परम्पराओं के खंडहर पर आधुनिकता का महल तैयार करने की वकालत नहीं जैसा आज के वर्तमान परिस्थितियों में किया जा रहा है। गांधी हमेशा गांव को विकशित, सशक्त और सुसज्जित करने की बात किया करते थे।

गांधी के विचारों के इसी क्रम में हम आज उदयपुर के आदिवासी गांवों में गांधी फ़ेलोशिप के अंतर्गत काम कर रहे हैं। विकास का अर्थ अब कांक्रीट के जंगल खड़े करना नहीं है, आज का ये पैमाना हमें गांवो में जाकर वहां उनकी समस्याओं को देखकर बखूबी पता चला। हम दस लोग अलग अलग राज्यों से आकर आज उदयपुर के 50 गांवों में उनकी समस्याओं का उनके ही विचारों और तरीके से समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं। आज डेढ़ सालों के अनुभव के आधार पर मैं यह कह सकता हूँ कि गांव को अगर सशक्त बनाना है तो उनके ही बीच जाकर हमें उनके लिए नीतियां तैयार करनी पड़ेगीं। गांधी ने कभी ये नहीं कहा कि समय के साथ कदम से कदम मिलाकर कर न चला जाए पर उन्होंने ये जरूर कहा कि विकास का पैमाना मानवता और प्रकृति के नियमों के आधार पर होना चाहिए। आप को एक उदाहरण से पता चलेगा जैसे इस साल से ही सरकारी विद्यालयों में राजस्थान सरकार ने गणित के विषय में वैदिक गणित को भी कक्षा एक लेकर 12 तक के विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य कर दिया। पर क्या जिन आदिवासी बच्चों को हिंदी बोलने और लिखने में समस्या है, जिन्हें जोड़ घटाना गुणा भाग करने में समस्या है उनके ऊपर एक और विषय थोपने से वो क्या परम्परा संस्कृति और दुनिया के पटल पर अपने आप को रख पाएंगे। इतने दिन से मैंने उनके बीच रहकर काम करके यह देखा कि उन बच्चों को आज उस ज्ञान की जरूरत है जो दुनिया के पटल पर और नैतिक मूल्यों पर खड़ा कर सके। गांधी जब आने वाली पीढ़ियों और बच्चों की बात किया करते थे तो उनका मानना यही था कि जीवन को सुचारू रूप से चलाने और जीवन के नैतिक मूल्यों को बनाने, सत्यता की राह को अपनाने से इंसान इस देश को एक बेहतर भविष्य दे सकता है। आप उन्हें कभी किसी पुराने बंधनों में बांध कर नहीं रख सकते।

गांधी जिस ग्रामीण भारत की वकालत करते थे। गांव में जिस स्वराज की वे बात करते थे। उससे साफ जाहिर होता है कि वे ग्रामीण भारत की समाज़ नीति को राजनिति को गहनता से जानते थे। आज के समय में ये जरुरी है जब सब शहरों की तरफ भाग रहें तब हमें इस बात पर मथंन करना होगा कि गांधी आज हमारी किस तरह मदद कर सकते हैं? गांवो के लिए गांधी की प्रसांगिकता समझने की जरुरत है।

गांव की समाजनीति को समझकर गांव में राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक मजबूती देनी होगी। आज गांव में जरुरत पंचायतों व सरकारी विद्यालयों को मजबूत करने की लगती है। पंचायत के मजबूत होने से गांव की रौनक वापस आ सकती है गांव का सरपंच गांव को गांधी के नजरिए से देखे। गांव का सरपंच यदि गांधी के नजरिए से गांव को देखेगा तो वो पंचायत को मात्र पांच साल नहीं पंचायत के 50 साल तक के विकास की परिकल्पना कर पाएगा। पंचायत के लिए एक स्थिर विकास का रोड मैप तैयार कर पाएगा।

पंचायत के विकास के लिए गांधी की प्रसांगिकता को समझना होगा, आप इस प्रसांगिकता को इस रुप में भी ले सकते हैं कि गांधी अगर गांव की बात नहीं करते गांव के स्वराज की बात न करते तो क्या होता। शायद गांव के दशा कुछ इस प्रकार होती तो गांवों में शिक्षा, स्वास्थ्य व समाजिक न्याय की बूरी हालत होती। 

महिला सरपंच के बनने से बहुत सी महिलाओं का उत्थान हुआ। खजूरी गांव (उदयपुर) की सरपंच न बनती तो गांव में कभी बिजली, पानी व शिक्षा का विकास न हो पाता। पंचायतों से पहले गांव की स्थिति व पंचायतों के बाद गांव की स्थिति पर हम चर्चा करेंगे तो हमें गांधी जी की प्रसांगिकता समझ़ आएगी फिर मजबूरी का नाम गांधी नहीं मजबूती का नाम गांधी की बात करेंगे। गांव में अशिक्षा से आजादी की जरुरत है उसके लिए गांव में हमें गांधी खोज़ने होंगे। वो गांधीं आप में और हम सब में बन सकते हैं।

हमें आज गांधी को दीवारों से हटाकर अपने जीवन के में उनके नैतिक मूल्यों, आदर्शों और विचारों को अपनाने की जरूरत है। गांधी ये हमेशा कहा करते थे " मैं कोई महात्मा नहीं बस एक इंसान हूँ जो आने वाली पीढ़ियों को बेहतर भविष्य देना चाहता है।"

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