निखिल कुमार झा
आज के समय में मादक पदार्थों का सेवन एक बड़ी चुनौती बन चुकी हैं। युवाओं का एक बड़ा वर्ग इसकी चपेट में है। कोकीन, हेरोइन, अफीम, शराब जैसे नशीले पदार्थो का सेवन करके अपना जीवन खराब कर रहे हैं। ये पदार्थ कुछ समय के लिए नशा देते है; जिसमें व्यक्ति को सुखद अनुभूति होती है, पर जैसे ही नशा खत्म होता है व्यक्ति फिर से उसे लेना चाहता है। कुछ ही दिनों में उसे इन पदार्थो की लत लग जाती है। इन मादक पदार्थों का सेवन करने के बाद जल्द ही इसकी लत लग जाती है। उसके बाद लोग चाहकर भी इसे छोड़ नही पाते हैं। बच्चे अपनी पॉकेट मनी को खर्च करके इसे लेने लग जाते हैं। जल्द ही यह सेवन करने वाले व्यक्ति को पूरी तरह से बर्बाद कर देती है। आज देश के कई राज्यों में इन मादक पदार्थों को चोरी छिपे बेचा जा रहा है।
पंजाब जैसे राज्यों में नशीले पदार्थो के सेवन ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरो में लोग इसका अधिक सेवन करते हैं। मादक पदार्थों के बहुत से साइड एफ्फेक्टस भी हैं। जैसे बदन दर्द होता है, चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, गुस्सा, हाथ पैरो में दर्द और भारीपन, शरीर कांपना, अनियंत्रित रक्तचाप, उलटी मितली आना, जैसे लक्षण दिखने लग जाते हैं। इन नशीले पदार्थों का मस्तिष्क, यकृत, ह्रदय, गुर्दों पर बुरा प्रभाव होता है। इससे हार्टअटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। नशे के प्रभाव में व्यक्ति दूसरे लोगो के साथ बुरा व्यवहार करता है। महिलाओं से छेड़खानी, बलात्कार, हिंसा, आत्महत्या, मोटरवाहन दुर्घटना, हत्या, बाल शोषण, घरेलू हिंसा जैसे अपराध नशीले पदार्थो के सेवन के बाद हो जाते हैं मादक पदार्थों के सेवन के लिए व्यक्ति अपने सारे पैसे खर्च कर देता है। और तो और दूसरे लोगो को पैसे चोरी करने लग जाता है। कई बार वो अपनी जमीन, मकान, कार, घर का सामान, गहने और दूसरी सम्पदा भी नशा करने के लिए बेच देता है। व्यक्ति की आर्थिक स्तिथि बद से बदतर होती चली जाती है।
महानगरों में कई बार बहुत सी महिलाओं के द्वारा गर्भावस्था के दौरान शराब और नशीली दवाओं का उपयोग किया जाता हैं जो शिशुओं को नुकसान पहुंचा सकता है। यह गर्भपात, और अस्वस्थ शिशु का भी या विकलांग शिशु का भी कारण बन सकता हैं। यदि एक अजन्मे बच्चे को शराब से अवगत कराया जाए तो यह जीवन के लिए प्रभावित हो सकता है। भ्रूण अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (FASD) गर्भावस्था के दौरान शराब पीने से होने वाले मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के विकास को नुकसान पहुचाता हैं। मादक पदार्थों पर WHO की रिपोर्ट पर नज़र डालें तो पता चलता हैं कि शराब के हानिकारक उपयोग से हर साल 3.3 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है। दुनिया में हर व्यक्ति औसतन 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र का है, जो प्रजति वर्ष 6.2 लीटर शुद्ध शराब पीता है। आधी से कम आबादी (38.3%) वास्तव में शराब पीती है, इसका मतलब यह है कि जो लोग औसतन 17 लीटर शुद्ध शराब सालाना पीते हैं। कुछ 31 मिलियन व्यक्तियों को नशीली दवाओं के उपयोग विकार हैं। लगभग 11 मिलियन लोग ड्रग्स को इंजेक्ट करते हैं, जिनमें से 1.3 मिलियन एचआईवी के साथ जी रहे हैं, हेपेटाइटिस-सी के साथ 5.5 मिलियन और एचआईवी और हेपेटाइटिस सी दोनों के साथ 1 मिलियन। WHO ने शराब से संबंधित मृत्यु और विकलांगता को रोकने और कम करने के लिए SAFER शराब नियंत्रण पहल शुरू की जो WHO के नेतृत्व वाली पहल और एक्शन पैकेज का लक्ष्य 2025 तक शराब के हानिकारक उपयोग को 10% तक कम करने के वैश्विक लक्ष्य का समर्थन करना है। वैसे तो भारत के कुछ राज्यों में सरकार की तरफ से पाबंदी लगा दी गई हैं। परंतु इससे कुछ खास असर दिखाई नहीं दे रहा है। जब तक लोग खुद इसे नहीं छोड़ना चाहेंगे तब तक कुछ नहीं हो सकता।
(निखिल कुमार झा, अम्बेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के छात्र हैं )
पंजाब जैसे राज्यों में नशीले पदार्थो के सेवन ने एक विकराल रूप धारण कर लिया है। दिल्ली, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरो में लोग इसका अधिक सेवन करते हैं। मादक पदार्थों के बहुत से साइड एफ्फेक्टस भी हैं। जैसे बदन दर्द होता है, चिड़चिड़ापन, भूख न लगना, गुस्सा, हाथ पैरो में दर्द और भारीपन, शरीर कांपना, अनियंत्रित रक्तचाप, उलटी मितली आना, जैसे लक्षण दिखने लग जाते हैं। इन नशीले पदार्थों का मस्तिष्क, यकृत, ह्रदय, गुर्दों पर बुरा प्रभाव होता है। इससे हार्टअटैक का खतरा भी बढ़ जाता है। नशे के प्रभाव में व्यक्ति दूसरे लोगो के साथ बुरा व्यवहार करता है। महिलाओं से छेड़खानी, बलात्कार, हिंसा, आत्महत्या, मोटरवाहन दुर्घटना, हत्या, बाल शोषण, घरेलू हिंसा जैसे अपराध नशीले पदार्थो के सेवन के बाद हो जाते हैं मादक पदार्थों के सेवन के लिए व्यक्ति अपने सारे पैसे खर्च कर देता है। और तो और दूसरे लोगो को पैसे चोरी करने लग जाता है। कई बार वो अपनी जमीन, मकान, कार, घर का सामान, गहने और दूसरी सम्पदा भी नशा करने के लिए बेच देता है। व्यक्ति की आर्थिक स्तिथि बद से बदतर होती चली जाती है।
महानगरों में कई बार बहुत सी महिलाओं के द्वारा गर्भावस्था के दौरान शराब और नशीली दवाओं का उपयोग किया जाता हैं जो शिशुओं को नुकसान पहुंचा सकता है। यह गर्भपात, और अस्वस्थ शिशु का भी या विकलांग शिशु का भी कारण बन सकता हैं। यदि एक अजन्मे बच्चे को शराब से अवगत कराया जाए तो यह जीवन के लिए प्रभावित हो सकता है। भ्रूण अल्कोहल स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (FASD) गर्भावस्था के दौरान शराब पीने से होने वाले मस्तिष्क और केंद्रीय तंत्रिका तंत्र के विकास को नुकसान पहुचाता हैं। मादक पदार्थों पर WHO की रिपोर्ट पर नज़र डालें तो पता चलता हैं कि शराब के हानिकारक उपयोग से हर साल 3.3 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है। दुनिया में हर व्यक्ति औसतन 15 वर्ष या उससे अधिक उम्र का है, जो प्रजति वर्ष 6.2 लीटर शुद्ध शराब पीता है। आधी से कम आबादी (38.3%) वास्तव में शराब पीती है, इसका मतलब यह है कि जो लोग औसतन 17 लीटर शुद्ध शराब सालाना पीते हैं। कुछ 31 मिलियन व्यक्तियों को नशीली दवाओं के उपयोग विकार हैं। लगभग 11 मिलियन लोग ड्रग्स को इंजेक्ट करते हैं, जिनमें से 1.3 मिलियन एचआईवी के साथ जी रहे हैं, हेपेटाइटिस-सी के साथ 5.5 मिलियन और एचआईवी और हेपेटाइटिस सी दोनों के साथ 1 मिलियन। WHO ने शराब से संबंधित मृत्यु और विकलांगता को रोकने और कम करने के लिए SAFER शराब नियंत्रण पहल शुरू की जो WHO के नेतृत्व वाली पहल और एक्शन पैकेज का लक्ष्य 2025 तक शराब के हानिकारक उपयोग को 10% तक कम करने के वैश्विक लक्ष्य का समर्थन करना है। वैसे तो भारत के कुछ राज्यों में सरकार की तरफ से पाबंदी लगा दी गई हैं। परंतु इससे कुछ खास असर दिखाई नहीं दे रहा है। जब तक लोग खुद इसे नहीं छोड़ना चाहेंगे तब तक कुछ नहीं हो सकता।
(निखिल कुमार झा, अम्बेडकर कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्रकारिता के छात्र हैं )
No comments:
Post a Comment