Sunday, 28 April 2024

राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में एक शाम

करुणा नयन चतुर्वेदी 


बचपन से मैंने नाटक के नाम पर गांव और कस्बों में होने वाली रामलीला को ही नाटक जाना। फ़िर पत्रकारिता के कोर्स में जब दाख़िला हुआ, तो पता चला की नहीं यह प्राचीन काल से लोगों को जानकारी प्रदान करने और सामाजिक कुरीतियों आदि मुद्दों पर जागरूक करने का माध्यम है। यह समाज में संचार माध्यम का काम करता है। फ़िर यूट्यूब चैनल द लल्लनटॉप पर गेस्ट इन द न्यूज रूम में रंगमंच के कलाकारों के साक्षत्कार को देखकर कर पता चला की रंगमंच की दुनिया किसी सिनेमा जगत की ही तरह है। जहां कैमरा के जगह सीधे दर्शकों के सामने मंचन करना पड़ता है। 

तमाम साक्षात्कारों में एक बात बिलकुल एक जैसी थी और वह राष्ट्रिय नाट्य विद्यालय दिल्ली। जितने भी रंगमंच से जुड़े लोगों को देखा, सुना उन्होंने इस विद्यालय की चर्चा ज़रूर की। इसी से जानकारी प्राप्त हुआ कि मनोज बाजपाई, पंकज त्रिपाठी, पीयूष मिश्रा, नसीरुद्दीन शाह, ओम पूरी, आशीष विद्यार्थी, अनुपम खेर, नीना गुप्ता, इरफ़ान खान आदि बड़े नाम इसी प्रांगण से निकले। मंडी हाउस में चौराहों पर नाटक किया। मंडी हाउस नाटक प्रेमियों का केंद्र है। यह सभी जानकारी मुझे सोशल मीडिया से मिली थी। लेकिन एनएसडी के भीतर सामने से कलाकारों का अभियान अब तक नहीं देखा था। 

कल कुछ ऐसा संयोग बना की सुभाष गौतम सर के साथ महान लेखक धर्मवीर भारती  की कहानी 'बंद गली का आख़िरी मकान' का नाट्य रूपांतरण देखने को मिला। इस नाटक को प्रसिद्ध रंगकर्मी प्रो देवेंद्र राज अंकुर द्वारा निर्देशित किया गया था। एंट्री सर के माध्यम से निःशुल्क हो गया। थ्रियेटर रूम में प्रवेश करने के बाद जो शांति और वहां मौजूद लोगों की सादगी दिखी वह काबिल ए तारीफ़ थी। नाटक देखने का यह मेरा पहला अनुभव था। पूरे नाटक देखने के दौरान मेरा शरीर बिलकुल शून्य हो गया था। मेरा शरीर जैसे किसी अन्य लोक में चला गया था। मंच पर अभिनय शुरू हुआ कब खत्म हुआ इसका अहसास ही नहीं हुआ। इतना शानदार कलाकारों द्वारा अभिनय किया गया कि वह शब्दों में बयां ही नहीं हो सकता। दर्शकों में ज्यादातर डीयू, जेएनयू और जामिया के प्रोफ़ेसर थे। जोकि एकदम ध्यानमग्न होकर नाट्य प्रस्तुति को देख रहे थे। 

हालांकि कलाकारों का अभिनय शानदार था। लेकिन कहानी की पटकथा यह समझाने में असमर्थ रही की यह नाटक कहना क्या चाहती है। इसके बावजूद भी कलाकारों ने अपना सौ प्रतिशत दिया। यह अनुभव अद्वितीय रहा। नाटक देखने, दिखाने और उसके कलाकारों की दुनियां आबाद रहे। अगर आप दिल्ली में रहते हैं और अपना वीकेंड बढ़िया गुजारना चाहते हैं तो एनएसडी और श्री राम सेंटर में नाटक देखने ज़रूर जाएं। इसके साथ ही अपने साथियों को भी ज़रूर लेकर जाएं। जिससे यह कलाकारों की मेहनत ज़िंदा रहे, यह नाट्य कला जिन्दा रहे।


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