Thursday, 13 November 2025

मानेसर में एमसीएम की 'ग्रीन वॉल' पहल से बढ़ेगी हरियाली, घटेगा प्रदूषण


अंशु कुमार/आरती जोशी 

गुरुग्राम, 13 नवम्बर। मानेसर नगर निगम (एमसीएम) ने शहर में प्रदूषण को कम करने और हरित क्षेत्र को बढ़ाने के उद्देश्य से ‘ग्रीन वॉल इनिशिएटिव’ की शुरुआत की है। इस पहल की शुरुआत बुधवार को सेक्टर-86 स्थित नवादा क्रिकेट ग्राउंड में बड़े पैमाने पर पौधारोपण अभियान के साथ हुई। कार्यक्रम के दौरान स्थानीय निवासियों, सामाजिक संगठनों और कॉर्पोरेट स्वयंसेवकों ने मिलकर करीब 500 पौधे लगाए। इनमें नीम (अज़ादिराच्टा इंडिका) जैसी देशी और प्रदूषण-प्रतिरोधी प्रजातियों को प्राथमिकता दी गई।एमसीएम अधिकारियों के अनुसार, ‘ग्रीन वॉल’ पहल का मुख्य उद्देश्य कम उपयोग वाली जगहों को हरित बफर ज़ोन में बदलना है, जो धूल सोखने, कार्बन उत्सर्जन घटाने और स्थानीय वायु गुणवत्ता सुधारने में मदद करेंगे। ग्रीन पेंसिल फ़ाउंडेशन के संस्थापक सैंडी खंडा, जो इस परियोजना में एमसीएम के साथ साझेदार हैं, ने कहा कि यह अभियान केवल प्रतीकात्मक वृक्षारोपण नहीं है, बल्कि एक दीर्घकालिक पर्यावरणीय प्रतिबद्धता है।

खंडा ने बताया, हम कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) कार्यक्रमों के तहत एमसीएम और विभिन्न कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि हर पौधा जीवित रहे और पेड़ के रूप में विकसित हो। उन्होंने बताया कि अरावली पहाड़ियों के पास इस पहल के तहत पौधारोपण किया गया है और जल्द ही इसे अन्य औद्योगिक व आवासीय क्षेत्रों तक विस्तारित करने की योजना है। उन्होंने कहा गुरुग्राम और मानेसर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। हरित दीवार का उद्देश्य एक प्राकृतिक अवरोध बनाना है जो हवा में मौजूद कणिका तत्वों को कम करे।

कार्यक्रम में उपस्थित मानेसर की उप-महापौर रीमा चौहान ने इस पहल की सराहना करते हुए बताया कि नगर निगम पर्यावरण समूहों और स्थानीय निवासियों के सहयोग से शहरभर में 1,00,000 से अधिक पौधे लगाने का लक्ष्य रखता है। रीमा चौहान ने कहा अब कार्रवाई करने का समय है। सीमित हरियाली वाले क्षेत्रों को प्राथमिकता देकर उन्हें स्थायी हरित क्षेत्रों में बदलना जरूरी है। यह अभियान कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) के तहत टास्कअस कंपनी के सहयोग से आयोजित किया गया।

अधिकारियों का कहना है कि यह पहल भविष्य में गुरुग्राम के अन्य इलाकों में भी प्रदूषण नियंत्रण और हरित विकास का मॉडल बन सकती है। इससे न केवल पर्यावरण संतुलन मजबूत होगा बल्कि स्थानीय समुदाय को भी हरियाली के प्रति जागरूक करने में मदद मिलेगी।

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