Wednesday, 14 May 2025

मोदी जी के नेतृत्व में भारत विश्व का नेतृत्व करेगा - सुधांशु त्रिवेदी


नई दिल्ली, 13 मई। मालवीय स्मृति भवन, दीनदयाल उपाध्याय मार्ग नई दिल्ली में जिज्ञासा फाउंडेशन का स्थापना दिवस मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में राज्यसभा सदस्य एवं भाजपा के प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने ‘बदलता विश्व व भविष्य का भारत’ विषय पर व्याख्यान दिया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि जिज्ञासा का नाम ऐतिहासिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक महत्व का है। विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मोदी जी के नेतृत्व में भारत बदल गया है जो आतंकवादी हमले की निंदा नहीं करता अपितु पाकिस्तान के अंदर सौ किलोमीटर तक जाकर हमला करके सबक सिखाता है। यह भारत की कूटनीतिक सफलता है कि एक ओर अब अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा कश्मीर की नहीं बल्कि आतंकवाद की हो रही है जिसमें पाकिस्तान अपने को निर्दोष सिद्ध करने में लगा हुआ है। किंतु चीन और तुर्की जैसे एक - दो देशों को छोड़कर अरब और ईरान जैसे जैसे मुस्लिम देश तक पाकिस्तान के साथ नहीं खड़े हुए। जहां तक दबाव की बात है भारत का बाज़ार अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है इसलिए दबाव पाकिस्तान पर है भारत पर नहीं। और अभी यह अल्पविराम है पूर्णविराम नहीं है। हमने कह दिया है कि किसी भी आतंकवादी हमले को भारत पर हमला मानकर उत्तर दिया जाएगा। मोदी जी न तो वोट बैंक की राजनीति के समक्ष झुकते हैं और न ही परमाणु बम की धमकी के सामने झुकते हैं। अब हम सॉफ्ट स्टेट नहीं हैं। आज देश की संवृद्धि दर, स्फीति दर से लगातार दुगनी बनी हुई है जो बदलते भारत की ‘हिंदुत्व रेट ऑफ ग्रोथ’ है। बदलते विश्व में भारत ने उन्नत तकनीकी को अपनाया है। डिजिटल लेन - देन में अमेरिका और चीन से अधिक भारत में डिजिटल लेन - देन होते हैं जो विश्व में सबसे अधिक हैं। इसी प्रकार सौर ऊर्जा का उपयोग भारत तेजी से बढ़ रहा है। हम मोदी जी के नेतृत्व में गुलामी की मानसिकता से बाहर आए हैं।

इस मौके पर जिज्ञासा संस्था के अध्यक्ष प्रो राजकुमार भाटिया जी ने बताया की जिज्ञासा के ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों रूप में वर्ष भर कार्यक्रम होते हैं जिनमें वर्तमान संदर्भ में उपयोगी विषयों पर चर्चाएं तथा व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। इसके साथ-साथ जिज्ञासा, जिज्ञासा चिंतन, जिज्ञासा मंथन, जिज्ञासा डी यू एवं जिज्ञासा स्त्री के नाम से व्हाट्सएप समूह भी चलते हैं जिनमें निरंतर सम-सामयिक विषयों पर विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित विद्वानों द्वारा निरंतर चर्चा की जाती है। वर्तमान समय में सूचना एवं ज्ञान का अपना विशिष्ट महत्व है। जिज्ञासा समूह विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित विद्वानों को एक प्लेटफार्म प्रदान करता है जिसके माध्यम से वे आपसी चर्चाओं द्वारा एक दूसरे को ज्ञान और सूचनाओं के आदान-प्रदान से समृद्ध करते हैं।

Wednesday, 30 April 2025

पहलगाम में हुए निर्दोष हिंदुओं के नरसंहार हेतु श्रद्धांजलि सभा


नई दिल्ली, 30 अप्रैल। राज आर्य सभा, दिल्ली के तत्वावधान में एक भावनात्मक और जागरूकता-प्रधान श्रद्धांजलि और संकल्प सभा का आयोजन किया गया। इस विशेष सभा का उद्देश्य न केवल पहलगाम में हुए निर्दोष हिंदुओं के नरसंहार पर शोक प्रकट करना था, बल्कि राष्ट्र के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को पुनः जाग्रत करना भी था।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ आर्य नेता आर्य रवि देव गुप्त जी ने की, जबकि संयोजन का दायित्व कीर्ति शर्मा जी ने कुशलता से निभाया। मुख्य वक्ता लेफ्टिनेंट जनरल (से.नि.) धर्मवीर कालरा (PVSM, AVSM) ने अपने गहन और विचारोत्तेजक वक्तव्य में कहा कि यह घटना आतंकवाद की नृशंसता का ज्वलंत प्रमाण है, और यह समय है जब राष्ट्र को एकजुटता, आत्मरक्षा और राष्ट्रीय चेतना की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। उन्होंने भारत की सेना के अद्वितीय साहस और बलिदान की भी सराहना की।

आचार्य योगेश भारद्वाज जी ने इस घटना को सांस्कृतिक संदर्भ में रखते हुए कहा कि यह केवल एक नरसंहार नहीं, अपितु भारत की सहिष्णु सांस्कृतिक परंपरा पर हमला है। उन्होंने कहा कि भारतीय आत्मा को पराजित नहीं किया जा सकता — यह सत्य, तप और त्याग की ज्वाला से सदा प्रकाशित रहेगी। कार्यक्रम के प्रारंभिक उद्बोधन में संयोजक कीर्ति शर्मा जी ने कहा की यह केवल श्रद्धांजलि सभा नहीं, राष्ट्र चेतना का संग्राम है। यहाँ हर शब्द, हर विचार, हर भाव एक दीपक है  शहीदों की स्मृति में, और एक मशाल है  भविष्य को आलोकित करने के लिए। हमें संगठित रहकर सतत जागरूकता और आत्मरक्षा के मार्ग पर चलना होगा।

सभा का समापन राज आर्य सभा के मंत्री  राकेश आर्य द्वारा भावपूर्ण धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उन्होंने कहा:

"सच्ची श्रद्धांजलि केवल आँसू नहीं, बल्कि संकल्प होती है — हम ना भूलेंगे, ना माफ करेंगे, ना थकेंगे। हम भारत माता के सपनों के लिए जिएंगे और लड़ेंगे।"

इस कार्यक्रम में  सैकड़ों राष्ट्रनिष्ठ व्यक्तियों की भागीदारी रही। वक्ताओं के ओजस्वी विचारों और सहभागियों की राष्ट्रभक्ति ने इस आयोजन को एक जन-जागरण अभियान का रूप दे दिया।

राज आर्य सभा ने इस अवसर पर यह भी संकल्प लिया कि वह भविष्य में ऐसे जागरूकता अभियानों और राष्ट्ररक्षा विषयक आयोजनों को निरंतर गति प्रदान करता रहेगा।

Monday, 28 April 2025

जेएनयू छात्र संघ चुनाव में संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी


नई दिल्ली, 28 अप्रैल। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए केंद्रीय पैनल के संयुक्त सचिव पद पर शानदार जीत हासिल की है। एबीवीपी के उम्मीदवार वैभव मीणा ने संयुक्त सचिव पद पर विजय प्राप्त कर वामपंथी संगठनों को चुनौती दी है। इसके साथ ही 16 स्कूलों और विभिन्न संयुक्त केंद्रों के कुल 42 काउंसलर पदों में से 24 सीटों पर विजय हासिल कर एबीवीपी ने वर्षों से कायम तथाकथित वामपंथी प्रभुत्व को ध्वस्त करते हुए 'लाल दुर्ग' में भगवा परचम फहरा दिया है। यह न केवल जेएनयू के राजनीतिक परिदृश्य में एक ऐतिहासिक परिवर्तन है, बल्कि राष्ट्रवादी विचारधारा पर आधारित छात्र आंदोलन के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। वैसे तो एबीवीपी ने संयुक्त सचिव पद पर विजय प्राप्त की है, इसके साथ ही अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव के पदों पर भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कांटे की टक्कर दी। अंतिम चरण तक एबीवीपी के उम्मीदवार मजबूती से मुकाबले में बने रहे और वामपंथी गठबंधन के लिए गहरी चुनौती पेश करते रहे। यह परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाता है कि जेएनयू के छात्र समुदाय में राष्ट्रवादी सोच के प्रति व्यापक स्वीकृति बढ़ रही है।

संयुक्त सचिव वैभव मीणा मूलतः  करौली, राजस्थान के निवासी हैं और एक जनजातीय किसान परिवार से आते हैं। इन्होंने अपनी स्नातक शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से प्राप्त की है तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। वर्तमान में वैभव, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा, साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के भारतीय भाषा केंद्र में हिन्दी साहित्य विषय के शोधार्थी हैं।

इस जीत के मौके पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने कहा कि जेएनयू में राष्ट्रवाद की नई सुबह का प्रारंभ हुआ है। आज जेएनयू की पवित्र धरती पर इतिहास रचा गया है। वर्षों से जिस वामपंथी सोच ने विश्वविद्यालय परिसर को जकड़ रखा था, आज उसकी दीवारें छात्रों के लोकतांत्रिक निर्णय से दरक गई हैं। एबीवीपी ने न केवल काउंसलर पदों पर शानदार विजय प्राप्त की है, बल्कि केंद्रीय पैनल पर भी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाई है। यह जीत हर उस छात्र की जीत है जो शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का आधार मानता है। हम छात्रों के हर हित के लिए संघर्षरत रहेंगे और 'राष्ट्र सर्वोपरि' के आदर्श को स्थापित करेंगे।

एबीवीपी से जेएनयू छात्र संघ के नवनिर्वाचित संयुक्त सचिव वैभव मीणा ने कहा कि नेतृत्व में गठित यह जेएनयू छात्रसंघ (JNUSU) हर कदम, हर निर्णय और हर पहल को छात्र समुदाय के कल्याण के लिए समर्पित करेगा। हम एक ऐसे परिसर का निर्माण करेंगे जहाँ संवाद, समावेशिता और शैक्षणिक उत्कृष्टता सर्वोच्च स्थान पर होगी, और हर विद्यार्थी को समान अवसर तथा सम्मान के साथ आगे बढ़ने का वातावरण मिलेगा। यह विजय एक ऐसे जेएनयू की ओर पहला कदम है जो शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का सशक्त माध्यम बनाएगा।

Sunday, 27 April 2025

हिंदू होना मंदिर जाना नहीं है : मुकुल कानिटकर


नई दिल्ली, 27 अप्रैल। इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र प्रतिवर्ष भारत मंथन का आयोजन करता आ रहा है। इस वर्ष 2025 में संघ अपने 100 वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है। इस यज्ञ में सबसे पहले इंद्रप्रस्थ अध्ययन केंद्र ने भारत मंथन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्रीय सत्व जागरण के 100 वर्ष’ की समिधा दी। संगोष्ठी नॉन कॉलेजिएट महिला शिक्षा बोर्ड (दिल्ली विश्वविद्यालय) संस्कृत एवं प्राचीन विद्या अध्ययन संस्थान (जेएनयू) हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय (धर्मशाला) हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (महेंद्रगढ़) के संयुक्त तत्वाधान में संपन्न हुई।  इस संगोष्ठी का आयोजन 26 अप्रैल और 27 अप्रैल 2025 को किया गया। इस द्विदिवसीय संगोष्ठी को सात भागों में बांटा गया। प्रथम उद्घाटन सत्र, द्वितीय एवं तृतीय प्रपत्र प्रस्तुति एवं चतुर्थ सत्र समापन सत्र रहा। 27 अप्रैल 2025 को वैचारिक उद्बोधन से सत्र का आरंभ हुआ उसके बाद प्रपत्र प्रस्तुति एवं समापन सत्र रखा गया।

26 अप्रैल 2025 के उद्घाटन सत्र में विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रोफेसर बलराम पाणी (अधिष्ठाता महाविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय) मुख्य वक्ता प्रोफेसर ब्रजेश कुमार पांडेय (रेक्टर -1,जेएनयू ) रहे। इस सत्र की अध्यक्षता रामजस महाविद्यालय (दिल्ली विश्वविद्यालय) के प्राचार्य ने की।  संगोष्ठी के आरंभ में पहलगाम की हुतात्माओं को मौन श्रद्धांजलि दी गई। इसके पश्चात मंत्रों के साथ दीप प्रज्ज्वलन किया गया। संगोष्ठी में प्रोफेसर बलराम पाणी ने कहा - राष्ट्र को परम वैभव तक पहुंचना है। परम वैभव तक पहुंचाने के लिए चरित्रवान व्यक्ति का निर्माण आवश्यक है और व्यक्ति के चरित्र का निर्माण संघ और संघ की शाखा में किया जाता है। प्रो. ब्रजेश पांडेय ने सत्व के जागरण की बात की और कहा कि जिस देश में सत्व विस्मृत हो जाए तो वह देश पराधीन हो जाता है इसलिए आज सत्व जागरण की बात की जा रही है। 26 अप्रैल 2025 के समापन सत्र में विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर टंकेश्वर कुमार (कुलपति हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय) मुख्य वक्ता डॉ. किस्मत कुमार (सह- कार्यवाह, उत्तर क्षेत्र, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) अध्यक्ष प्रो. मनोज कुमार खन्ना (इलेक्ट्रॉनिक विज्ञान विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) रहे। सभी ने मूल रूप से व्यक्ति निर्माण पर बल दिया। डॉक्टर किस्मत कुमार ने गुरु हेडगेवार को कोर्ट करते हुए कहा कि हिंदू समाज का मूल, सबल समाज का निर्माण करना है। हिंदुत्व, भारत के जीवन जीने का आचरण है जो व्यक्ति के भीतर भक्ति और शक्ति दोनों का निर्माण करता है। संगोष्ठी का अंत कल्याण मंत्र के साथ हुआ।

भारत मंथन 27 अप्रैल 2025 के आरंभ में सभी मंचासीन वरिष्ठ वक्ताओं ने भारत माता को पुष्पांजलि अर्पित की। प्रथम सत्र में आमंत्रित विशिष्ट अतिथियों श्रीमान लक्ष्मी नारायण भाला जी, डॉ किस्मत कुमार, श्रीमान अजय जी ने 60 70 एवं 80 के दशक के आमंत्रित वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के विशिष्ट अनुभवों से नए स्वयंसेवकों को समृद्ध करते हुए राष्ट्र निर्माण और जागरण के लिए प्रेरित किया।  संगोष्ठी के अगले भाग में मुख्य वक्ता श्री अनिल कुमार गुप्ता (प्रांत कार्यवाहक दिल्ली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) विशिष्ट अतिथि प्रो. सत्य प्रकाश बंसल (कुलपति हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय) अध्यक्ष प्रो. योगेश सिंह (कुलपति दिल्ली विश्वविद्यालय) ने अपने वक्तव्य से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया। माननीय अनिल गुप्ता जी ने यह बताया कि हिंदू और संघ ‍को लेकर किस तरह गलत नैरेटिव पश्चिम से आ रहा है। उन्होंने कहा कि इस गलत नैरेटिव को तोड़कर हिंदू राष्ट्र ‌का निर्माण ही संगठन का उद्देश्य है। हेडगेवार जी ने अपने अनुयायी नहीं बनाए बल्कि प्रत्येक स्वयं सेवक संघ में एक हेडगेवार दिखाई देता है। संघ एक दृष्टि है। 


विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर सत्य प्रकाश बंसल ने अपने वक्तव्य में इंडिया से भारत की ओर उन्मुख होने की सकारात्मक दृष्टि पर बातचीत करते हुए कहा कि जब से इंडिया भारत बना है संपूर्ण विश्व भारत की ओर देखने लगा है। सत्र के अध्यक्ष प्रोफेसर योगेश सिंह ने अपने विभिन्न अनुभवों से श्रोताओं को समृद्ध करते हुए बताया कि संघ एक ईश्वरीय कार्य है, जहां किसी भी कार्य का कोई तुरंत परिणाम नहीं मिलता जिस तरह वृक्ष लगाने पर तुरंत फल नहीं मिलता। भारत मंथन के समापन सत्र के मुख्य वक्ता मुकुल कानिटकर जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए बताया कि संगठन का कार्य संगठित करना है। हिंदू होना मंदिर जाना नहीं है बल्कि जो इस देश को अपना मानता है वह हिंदू है चाहे वह किसी भी देवता की पूजा करता हो। हिंदू एक कांसेप्ट है।

संगोष्ठी में 130 शोध पत्रों का वाचन किया गया जिसकी अध्यक्षता दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न वरिष्ठ लोगों द्वारा की गई। संगोष्ठी में आए विभिन्न शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी एवं अन्य प्रबुद्ध जनों को मिलाकर कुल संख्या 900 रही।भारत मंथन को समापन की ओर ले जाते हुए प्रो. गीता भट्ट जी ने अपने सभी सहयोगी, संस्थाओं, उनके प्रमुखों एवं अतिथियों, कार्यकर्ताओं, आयोजन समिति के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया

जेएनयू छात्र संघ चुनाव में अभाविप से संयुक्त सचिव पद पर शानदार जीत


नई दिल्ली , 27 अप्रैल। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्र संघ चुनाव में अभूतपूर्व प्रदर्शन करते हुए केंद्रीय पैनल के संयुक्त सचिव पद पर शानदार जीत हासिल की है। एबीवीपी के उम्मीदवार वैभव मीणा ने संयुक्त सचिव पद पर विजय प्राप्त कर वामपंथी संगठनों को चुनौती दी है। इसके साथ ही 16 स्कूलों और विभिन्न संयुक्त केंद्रों के कुल 42 काउंसलर पदों में से 24 सीटों पर विजय हासिल कर एबीवीपी ने वर्षों से कायम तथाकथित वामपंथी प्रभुत्व को ध्वस्त करते हुए 'लाल दुर्ग' में भगवा परचम फहरा दिया है। यह न केवल जेएनयू के राजनीतिक परिदृश्य में एक ऐतिहासिक परिवर्तन है, बल्कि राष्ट्रवादी विचारधारा पर आधारित छात्र आंदोलन के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। वैसे तो एबीवीपी ने संयुक्त सचिव पद पर विजय प्राप्त की है, इसके साथ ही अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिव के पदों पर भी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने कांटे की टक्कर दी। अंतिम चरण तक एबीवीपी के उम्मीदवार मजबूती से मुकाबले में बने रहे और वामपंथी गठबंधन के लिए गहरी चुनौती पेश करते रहे। यह परिणाम स्पष्ट रूप से दिखाता है कि जेएनयू के छात्र समुदाय में राष्ट्रवादी सोच के प्रति व्यापक स्वीकृति बढ़ रही है।

वैभव मीणा मूलतः करौली, राजस्थान के निवासी हैं और एक जनजातीय किसान परिवार से आते हैं। इन्होंने अपनी स्नातक शिक्षा राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से प्राप्त की है तथा काशी हिंदू विश्वविद्यालय से हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है। वर्तमान में वैभव, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के भाषा, साहित्य एवं संस्कृति संस्थान के भारतीय भाषा केंद्र में हिन्दी साहित्य विषय के शोधार्थी हैं।

इस मौके पर एबीवीपी जेएनयू के इकाई अध्यक्ष राजेश्वर कांत दुबे ने कहा की जेएनयू में यह विजय न केवल अभाविप के अथक परिश्रम और राष्ट्रवादी सोच पर विद्यार्थियों के विश्वास का प्रमाण है, बल्कि यह उन सभी छात्रों की जीत है जो शिक्षा को राष्ट्र निर्माण का आधार मानते हैं। जेएनयू में वर्षों से स्थापित एकपक्षीय विचारधारा के विरुद्ध यह लोकतांत्रिक क्रांति है। विद्यार्थी परिषद भविष्य में भी छात्रों के हितों और राष्ट्र पुनर्निर्माण के अपने संकल्प के साथ कार्य करती रहेगी।

वही वैभव मीणा ने कहा कि जेएनयू छात्र संघ में संयुक्त सचिव के रूप में चुना जाना मेरे लिए व्यक्तिगत उपलब्धि मात्र नहीं, बल्कि उस जनजातीय चेतना और राष्ट्रवादी विचारधारा की विजय है जिसे वर्षों से दबाने का प्रयास किया गया था। यह जीत उन सभी छात्रों की आशाओं का प्रतीक है जो अपनी सांस्कृतिक अस्मिता और राष्ट्र निर्माण की भावना के साथ शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं। मैं संकल्प लेता हूँ कि छात्र हितों की रक्षा, अकादमिक उत्कृष्टता को बढ़ावा देने, और विश्वविद्यालय परिसर में समरस लोकतांत्रिक मूल्यों, संवाद तथा समावेशिता को सशक्त करने हेतु पूर्ण निष्ठा और पारदर्शिता के साथ कार्य करूँगा। यह विजय एक ऐसे जेएनयू के निर्माण की ओर पहला कदम है, जहाँ हर विद्यार्थी को समान अवसर, सम्मान और राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ने का वातावरण प्राप्त हो।

Friday, 25 April 2025

पत्रकारिता की पढ़ाई सकारात्मक परिवर्तन के लिए : अतुल गंगवार

करुणानयन चतुर्वेदी  


नई दिल्ली, 25 अप्रैल। दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ भीमराव अंबेडकर महाविद्यालय के हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग ने एक दिवसीय मीडिया कार्यशाला और प्रतियोगिता का आयोजन किया। कार्यशाला में एंकरिंग और रिपोर्टिंग, ऑडियो और वीडियो पॉडकास्ट, लघु फिल्म और डाक्यूमेंट्री तथा टेलीविजन न्यूज पैकेज प्रतियोगिताएं आयोजित की गईं जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया और अपनी रचनाधर्मिता से सभी को आकर्षित किया। कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध लेखक और फिल्म निर्माता अतुल गंगवार उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में एबीपी न्यूज के क्रिएटिव हेड संजय नंदन, गुजरात विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राज चावला ,और कॉलेज प्राचार्य प्रो. सदा नंद प्रसाद उपस्थित रहे। 

प्रो. सदानंद प्रसाद ने कहा कि प्रतियोगिताओं में सहयोगियों से विद्यार्थियों में उत्साह और कुछ नया करने का जज्बा पैदा होता है। इस मौके पर विषय परिवर्तन करते हुए कार्यशाला सह-संयोजक प्रो. बिजेंद्र कुमार ने कहा कि यह कार्यशाला वर्तमान में अध्यनरत विद्यार्थियों को अपने सीनियरों से मिलने और जुड़ने का अवसर प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों ने प्रतियोगिताओं में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया है जो कि उनके रचनात्मकता दिखाता है। 

उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए अतुल गंगवार ने  कहा कि पत्रकारिता की पढ़ाई केवल डिग्री प्राप्त करने के लिए नहीं होता है बल्कि यह समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन लाने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि भाषाई दक्षता से ही इस क्षेत्र में ऊंचाइयों तक पहुंचा जा सकता है। 

पूर्ववर्ती छात्र और क्राइम तक के वरिष्ठ पत्रकार चिराग गोठी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज के दौर में सभी एंकर है। अच्छे एंकर होने के लिए विषय की गहरी समझ होनाआवश्यक है । उन्होंने यह भी बताया कि टेलीप्रोमाप्टर का कम से कम इस्तेमाल करना चाहिए। 

एबीपी के क्रिएटिव हेड संजय नंदन ने कहा कि कॉलेज आकर हमेशा अच्छा लगता है और यहां के शिक्षक बहुत सहयोगी है जो कि विद्यार्थियों का सदैव साथ देते हैं। उन्होंने बताया कि आजकल बोलना सब चाह रहे हैं लेकिन सुनना कोई नहीं चाहता है।अच्छा पत्रकार बनने के लिए सबसे पहले सुनने और पढ़ने की कला विकसित करनी होगी, तभी आपको मीडिया में जगह मिल पाएगी। वहीं प्रो राज चावला ने रिपोर्टिंग के संदर्भ में कहा कि कैमरे के सामने घबराहट आम बात है।जैसे - जैसे समय बीतता है,अनुभव के साथ सब ठीक हो जाता है।

मनीष राज मासूम ने पॉडकास्ट के प्रतिभागियों को बताया कि पॉडकास्ट आम आदमी का माध्यम है जिसमें आप बनावटीपन या दिखावा शामिल नहीं कर सकते हैं। इस माध्यम में मन से भाव निकलते हैं। उन्होंने कहा कि इस विधा में झूठ नहीं बोला जा सकता क्योंकि ऐसा करते हुए आप दिखेंगे तो फंस जाएंगे। उन्होंने बताया कि पॉडकास्ट को सफल और आकर्षक बनाने के लिए गहन अध्ययन की जरूरत होती है।

समापन सत्र को संबोधित करते हुए जी माडिया के बिजनेस हेड सुशांत मोहन ने कहा कि डिजिटल माध्यम के आगमन के बाद से रोजगार की संभावना पत्रकारों के घर तक पहुंच गई है। तकनीक और भाषा को सीखकर पत्रकारिता के कैरियर में सफल हो सकते है।

कार्यशाला की शुरुआत मां सरस्वती के समक्ष दीपार्जन के साथ हुई। अतिथियों का स्वागत पौधा और स्मृतिचिन्ह देकर किया गया।  लघु फिल्म और डाक्यूमेंट्री में निर्णायक की भूमिका में प्रसिद्ध फिल्मकार संजीव वेदवान और इग्नू के एसोसिएट प्रोफेसर अमित कुमार उपस्थित रहे। हिंदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग की संयोजिका प्रो शशि रानी ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस कार्यशाला से विद्यार्थियों को काफी कुछ सीखने को मिला है और भविष्य में भी विभाग ऐसे कार्यक्रम आयोजित करता रहेगा। कार्यशाला के अंत में विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। कार्यशाला में प्रो. चित्रा रानी, प्रो. ममता वालिया, प्रो. कुसुम नेहरा, डॉ. विनीत कुमार, डॉ. राकेश कुमार, डॉ. सुभाष गौतम, डॉ. प्रवीण झा,डॉ. अनिल कांबले, डॉ आदर्श मिश्र, अंशुमन के साथ भारी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।

Wednesday, 23 April 2025

जेएनयू प्रेसिडेंशियल डिबेट में वामपंथियों पर जमकर बरसी एबीवीपी की शिखा स्वराज


नई दिल्ली, 24 अप्रैल। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अध्यक्ष पद के लिए प्रेसिडेंशियल डिबेट की शुरुवात, भारत माता की जय और वंदे मातरम् के जयघोष के साथ हुई। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ की प्रेसिडेंशियल डिबेट की प्रतीक्षा छात्र बेसब्री से कर रहे थे। माना जाता है कि जेएनयू में अध्यक्ष प्रत्याशी की जीत, डिबेट में उसके भाषण प्रदर्शन पर काफी निर्भर करती है और बहुत से छात्र डिबेट सुनने के बाद किसे वोट देना है, यह तय करते हैं। इसी लिए अध्यक्ष पद के सभी प्रत्याशी इस आयोजन के लिए पुरजोर मेहनत कर भाषण तैयार करते हैं।

एबीवीपी के केंद्रीय पैनल से अध्यक्ष पद प्रत्याशी एवं अभाविप जेएनयू की इकाई मंत्री शिखा स्वराज ने अपने भाषण में बिहार की गौरवशाली परंपरा को स्मरण करते हुए कहा कि यह वही धरती है जिसने भारत को सम्राट अशोक, चंद्रगुप्त मौर्य और उनकी नीति के निर्माता आचार्य चाणक्य जैसे महापुरुष दिए। इसी मिट्टी से महावीर की तपस्या, कर्पूरी ठाकुर का सामाजिक न्याय, रामधारी सिंह दिनकर की ओजस्वी कविता और दशरथ मांझी जैसा अटूट संकल्प उपजा, मैं उसी धरती से आती हूँ। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के पहलगांव में हुए आतंकी हमले पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए अपने भाषण की शुरुआत की। इस संदर्भ में उन्होंने तीखा प्रश्न उठाया कि जब कुछ लोग आतंकवाद का कोई धर्म नहीं मानते, तो वे यह क्यों नहीं बताते कि हमलावरों का धर्म और उनकी पहचान क्या थी। उन्होंने कोलकाता, संदेशखाली और मुर्शिदाबाद की महिलाओं और वहां के हिन्दू समाज की पीड़ा की ओर ध्यान खींचते हुए कहा कि वे इस मंच के माध्यम से उन सभी की आवाज़ बनकर आई हैं।

उन्होने जेएनयू के वामपंथी संगठनों की विचारधारा और कार्यशैली कि कड़ी निंदा की। कहा कि इस कैंपस में अब दो विचारधाराएं आमने-सामने खड़ी हैं — एक तरफ वामपंथी, जो आपस में ही उलझे हैं, और दूसरी तरफ एबीवीपी, जो राष्ट्रवाद, छात्र सेवा और समर्पण की प्रतीक है। उन्होंने भरोसा जताया कि वह दिन दूर नहीं जब लाल झंडों द्वारा फैलाया गया अंधकार छटेगा और एबीवीपी की प्रेरणा से यह परिसर फिर से राष्ट्रध्वज के गौरव से पूर्णतः आलोकित होगा। उन्होंने कोविड महामारी के दौरान एबीवीपी कार्यकर्ताओं की निस्वार्थ सेवा को याद करते हुए कहा कि जब सब अपनी जान की परवाह कर रहे थे, तब एबीवीपी के कार्यकर्ता छात्रों की मदद में लगे हुए थे। आज यदि इस विश्वविद्यालय में वाई-फाई, ई-रिक्शा, बराक छात्रावास और छात्र सुविधाएं उपलब्ध हैं तो वह एबीवीपी के संघर्षों की ही देन है। वहीं वामपंथी संगठनों को आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें न छात्रों की समस्याओं से सरोकार है, न सुविधाओं से—उनका सारा ध्यान केवल लेनिन, स्टालिन और मार्क्स की विचारधारा को बनाए रखने में है, भले ही छात्र हॉस्टलों में पानी के लिए तरसें या वॉशरूम की छतें गिरती रहें। यह टुकड़े टुकड़े मानसिकता वाले संगठन आज खुद आपस में टुकड़ों में बंट चले हैं, लेकिन इनका अगर बस चले तो यह पूरे भारत को टुकड़ों में बांट दें।